Agriculture Guidance : खेती में खेत (Tree Farming) की मिट्टी की गुणवत्ता, सुरक्षा और टिकाऊ उत्पादन सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि किसान खेत की हिफाजत करते हुए कमाई बढ़ाना चाहते हैं, तो खेत के चारों ओर पेड़ों की बाड़ लगाना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, खेतों में पेड़ आधारित खेती अपनाने से मिट्टी की मजबूती बढ़ती है और फसल को प्राकृतिक सुरक्षा मिलती है। खेत के किनारे पेड़ों की खेती लंबे समय तक आर्थिक लाभ पहुंचाने का साधन भी बन जाती है।
आजकल खेत की सुरक्षा के लिए किसान बाड़, तार जाल और कीटनाशकों पर खर्च कर देते हैं, जबकि पेड़ों की प्राकृतिक घेराबंदी कम लागत और लंबे समय तक चलने वाला विकल्प है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी साझा की है कि खेत के चारों ओर यदि किसान तीन खास पेड़ लगाते हैं, तो फसलों की सुरक्षा और उत्पादन दोनों में फायदा होगा। यह तरीका खेतों में टिकाऊ खेती और पेड़ आधारित कृषि (Tree Farming) को बढ़ावा देता है।
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खेत के चारों ओर पेड़ लगाना क्यों बेहतर विकल्प?
खेत की मिट्टी को मजबूती प्रदान करना, हवा की दिशा नियंत्रित करना और भूमि कटाव रोकना — पेड़ों के ऐसे फायदे हैं जो खेत की गुणवत्ता बढ़ाते हैं। पेड़ों की छाया गर्मियों में अत्यधिक धूप से फसलों को बचाती है और खेत में नमी को लंबे समय तक बनाए रखती है। कई पेड़ प्राकृतिक कीटनाशक की तरह काम करते हैं, जिससे फसलें कीड़ों व रोगों से सुरक्षित रहती हैं। खेत के चारों ओर पेड़ों की लाइन बनाना सिर्फ खेती नहीं बल्कि पेड़ आधारित खेती (Tree Farming) का हिस्सा माना जा रहा है, जो फसल और पर्यावरण दोनों के लिए उपयोगी है।
ये हैं वो 3 पेड़ जिनसे किसान उठा सकते हैं बड़ा लाभ
नीम
नीम एक प्राकृतिक कीटनाशक है। इसकी पत्तियां, तना और बीज खेत में कई तरह के कीटों को दूर रखते हैं। मिट्टी में जैविक तत्व बढ़ाने और फसलों की सुरक्षा के लिए यह श्रेष्ठ माना जाता है। पेड़ आधारित खेती (Tree Farming) में नीम सबसे लोकप्रिय विकल्प है। इसकी लकड़ी और बीज किसानों के लिए कमाई का स्रोत भी बनते हैं।
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करंज
करंज की जड़ें मिट्टी को मजबूती देती हैं और भूमि कटाव रोकती हैं। इसके बीज और तेल का उपयोग औषधीय और औद्योगिक क्षेत्रों में होता है। करंज खेत के किनारों पर मजबूत जैविक दीवार बनाता है और कृषि संरक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए इसे पेड़ आधारित खेती (Tree Farming) में शामिल करने की सलाह दी जाती है।
शीशम
शीशम ऊंचा और मजबूत वृक्ष है, जो खेत के चारों ओर प्राकृतिक बैरियर की तरह काम करता है। इसकी लकड़ी की बाजार में उच्च मांग है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ मिलता है। शीशम उन प्रमुख पेड़ों में शामिल है, जिन्हें खेत की सुरक्षा और मुनाफे के लिए पेड़ आधारित खेती (Tree Farming) के रूप में लगाया जाता है।
इन पेड़ों से किसानों को मिलेंगे क्या फायदे
फसलों को तेज धूप और तापमान से सुरक्षा
खेत में मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता में सुधार
भूमि कटाव और मिट्टी क्षरण में कमी
प्राकृतिक कीटनाशक गुण — कीट नुकसान में कमी
जंगली जानवरों से फसल सुरक्षा
लकड़ी और बीज से अतिरिक्त आय
पर्यावरण संरक्षण और खेती में स्थिरता
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दीर्घकालिक निवेश है Tree Farming
खेत की सीमा पर पेड़ लगाना सिर्फ सुरक्षा का साधन नहीं बल्कि दीर्घकालिक निवेश है। खेती और पेड़ की संयुक्त प्रणाली न केवल उपज बढ़ाती है बल्कि लागत भी घटाती है। नीम, करंज और शीशम को खेतों के चारों तरफ अपनाकर किसान फसलों को प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं और लकड़ी व बीज के माध्यम से लगातार आय प्राप्त कर सकते हैं। पेड़ों की खेती को बढ़ावा देना आज के समय में टिकाऊ कृषि और पेड़ आधारित खेती (Tree Farming) की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।


