Friday, November 22, 2024
Homeएक्सक्लूसिवBaikunthpur Vidhansabha : इस विधानसभा सीट पर राजपरिवार का दबदबा, अब तक...

Baikunthpur Vidhansabha : इस विधानसभा सीट पर राजपरिवार का दबदबा, अब तक नहीं मिली हार

Chhattisgarh News : कोरिया जिले की बैकुंठपुर विधानसभा सीट (Baikunthpur Vidhansabha) हमेशा से ही चर्चा में रही है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस क्षेत्र की राजनीतिक विरासत भी समृद्ध है। क्षेत्र में राजघराने का वर्चस्व रहा है और राजनीति में भी इनकी तूती बोलती रही है। यही कारण है कि कोरिया नरेश डॉ. रामचंद्र सिंहदेव बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र से सर्वाधिक 6 बार चुनाव जीतकर विधायक बने थे। वर्तमान में उनकी भतीजी अंबिका सिंहदेव यहां से विधायक हैं।

अविभाजित मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ बनने के बाद इस सीट (Baikunthpur Vidhansabha) पर अब तक 13 बार विधानसभा चुनाव हुए। जिसमें से 8 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। कांग्रेस यहां तभी जीती है जब टिकट राजपरिवार के सदस्य को मिला है। माना जाता है कि बैकुंठपुर विधानसभा सीट में राजघराने का बड़ा हस्ताक्षेप होता है।

यहां हुए चुनाव में अब तक पैलेस का ही दबदबा रहा किन्तु कोरिया कुमार के राजनीति से सन्यास लेने के बाद भाजपा ने जीत का परचम लहराया था। वहीं कोरिया कुमार की मृत्यु के बाद उनकी भतीजी अम्बिका सिंहदेव ने पहली बार मे ही कड़े मुकाबले के बीच 2018 मे हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की।

इस विधानसभा (Baikunthpur Vidhansabha) से ही पूर्व मंत्री भईयालाल राजवाड़े भी यही से दो बार विधायक रहे हैं। इस लिहाज से यहां जिला विभाजन, विकास व स्थानीय मुद्दों को लेकर 2023 विधानसभा चुनाव में काफ ी गहमा-गहमी भरा चुनावी संग्राम होने के आसार है।

जिपं उपचुनाव में कांग्रेस को मिली हार : हाल ही में हुए जिला पंचायत के उप चुनाव में पूर्व विधायक राजवाडे की बहु ने 13 हजार मतों से जीत हासिल की थी। कई ग्राम पंचायत में कांग्रेस प्रत्याशी का खाता भी नहीं खुला जो कि कांग्रेस में गुटबाजी का परिणाम था। अब भी गुटबाजी हावी है जबकि विधानसभा में सत्तापक्ष के सरकार में रहते हुए इस विधानसभा में विकास का पिटारा न खुलने व मुख्यमंत्री की घोषणा के पश्चात भी हवाई पट्टी के लिए अब तक भूमि का चयन न होना, पटना को नगर पंचायत का दर्जा न मिलना व पटना में जिला सहकारी बैंक का लाभ अब न मिल पाना जिला विभाजन जैसे मुद्दों को लेकर भाजपा और अन्य पार्टियां मुद्दा बना सकती हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं की सेहत खराब : जिले के सबसे बड़े जिला अस्पताल बैकुंठपुर में केवल सर्दी-खांसी समेत थोड़ी बहुत बीमारियों का चेकअप ही हो पाता है। हाई टेक सुविधाएं अब तक नहीं पहुंच सकी हैं। सिटी स्केन की सुविधा भी चालू नहीं है। चिकित्सकों की कमी बनी हुई है। वर्तमान में यह हॉस्पिटल रेफ र सेंटर के रूप में जाना जाता है। कोरोना काल से लेकर अब तक स्वास्थ्य विभाग घोटालों को लेकर स्थानीय अखबारों में सुर्खियों में रहा किंतु अब तक कार्यवाही नहीं हुई।

राज्य बनने के बाद दो बार चुनाव जीती बीजेपी : साल 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना। 2003 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए पहली बार चुनाव हुए। बैकुंठपुर विधानसभा सीट (Baikunthpur Vidhansabha) से कांग्रेस ने रामचंद्र सिंहदेव को टिकट दिया। रामचंद्र सिंहदेव ने इस विधानसभा सीट से रिकॉर्ड तोड़ मतों से जीत दर्ज की। साल 2008 में हुए विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार नहीं बदला और भईया लाल राजवाड़े को टिकट दिया।

जबकि कांग्रेस ने वेदांती तिवारी को उम्मीदवार बनाया। इस बार यहां कमल खिला। बीजेपी ने यहां के 2013 का भी चुनाव जीता। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बैकुंठपुर सीट से रामचंद्र सिंहदेव की भतीजी अंबिका सिंहदेव को मैदान में उतारा था। अंबिका सिंहदेव यहां से चुनाव जीतीं और पहली बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचीं जो आज संसदीय सचिव भी हैं।

जो वादे जनता से किए सभी पूरे किए : विधायक अंबिका सिंहदेव ने नवप्रदेश से चर्चा करते हुए कहा कि मैंने कई बड़े विकास कार्य कराए हैं। सबसे बड़ी उपलब्धि बैकुंठपुर में 9 करोड़ की लागत से स्टेडियम निर्माण है। इसके अलावा खरवत गेट से खाड़ा तक नेशनल हाईवे की स्वीकृति कराई। करोड़ों रुपए के विकास कार्य हुए हैं।

कुल मतदाताओं की संख्या पर एक नजर
कुल मतदाता
1,63,456
पुरुष मतदाता
82,274
महिला मतदाता
81,176
तृतीय लिंग मतदाता
06
दिव्यांग मतदाता
1296

दोनों ही पार्टियों में गुटबाजी हावी : वहीं यहां दोनों ही पार्टी में गुटबाजी चरम पर है। टिकट लेने की होड़ मची मची हुई है, जो गुटबाजी का प्रमुख कारण है। कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों के लिए गुटबाजी दूर करना पहली चुनौती होगी।

विधायक के साथ अन्य तीन दावेदार : बैकुंठपुर सीट पर वर्तमान विधायक अंबिका सिंहदेव के अलावा पूर्व विधायक प्रत्याशी वेदांती तिवारी, अशोक जायसवाल और योगेश शुक्ला भी विधायकी के लिए दावेदारी कर रहे। हालांकि पार्टी सूत्रों की मानें तो एक दफा फिर कांग्रेस अंबिका सिंहदेव पर भरोसा जताएगी।

भईया लाल राजवाड़े ही प्रमुख दावेदार : 2023 विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की बात करें तो पूर्व विधायक भईया लाल राजवाड़े ही प्रबल दावेदार हैं। हालांकि शैलेश शिवहरे, देवेन्द्र तिवारी और लक्ष्मण राजवाड़े भी टिकट के लिए जोर अजमाइश लगा रहे।