देवभोग। जिस उम्र में इनके हाथों में किताबें और पेन होना चाहिए, उस उम्र में इन बच्चों के हाथों में ‘पोताई ब्रशÓ देकर काम कराया जा रहा है। ऐसे में एक तरफ जहां देश के नौनिहालों को शिक्षित करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ यहां काम कराने के लिए नौनिहालों के भविष्य से खुले आम खिलवाड़ हो रहा है। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सरकार द्वारा निर्धारित नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां नाबालिग बच्चों से सरकारी विभाग के ही अफसरों द्वारा मजदूरोंं वाला काम कराया जा रहा है। यह मामला गरियाबंद जिले के देवभोग ब्लॉक का है। जहां 41 डिग्री तापमान में 9 से 11 साल के छोटे-छोटे बच्चों के हाथों में ब्रश और बाल्टी थमाकर पशु चिकित्सालय में रंगाई पोताई का काम करवाया जा रहा। पशु चिकित्सा विभाग के जिम्मेदारों द्वारा बाल श्रमिक करवाने के मामले को मीडियाकर्मी ने अपने कैमरे में कैद कर लिया। हालांकि 2 बच्चे कैमरा को देखते ही अस्पताल के भीतर काफ ी समय तक छुपे थे। बच्चों से जब काम करने के बारे में पूछा गया तो लडख़ड़ाते जुबां में बताया गया कि पशु चिकित्सा अधिकारी पड़ोस के मकान पर निवासरत हंै और उनके कहने पर ही अस्पताल भवन के अलावा अंदर के 2 रूम की पुताई करने के लिए 25 सौ रुपए में सौदा तय हुआ है। जिसके चलते बीते सोमवार से अस्पताल की पुताई सुबह 9 बजे से लेकर 2 बजे तक किया जाता है।
बाल श्रम के बाद सुरक्षा निमयों की उड़ाई धज्जियां : पहले तो पशु चिकित्सा अधिकारी ने बाल श्रम की धज्जियां उड़ा दी। वहीं दुर्भाग्य है कि उनकी मौजूदगी में बिना सुरक्षा इंतजाम के बच्चों को छत पर चढ़ा कर पुताई काम कराया गया है। जिसे देख बिजली आफि स मार्ग से आवागमन करने वाले राहगीर अधिकारी सहित तमाम जनप्रतिनिधि पशु चिकित्सा अधिकारी के कार्यप्राली पर तरह तरह के सवाल खड़े कर रहे थे। गांव में मजदूरों की कोई कमी नहीं है। जिनसे पशु चिकित्सक ये काम करा सकते थे, लेकिन मजदूरों को अधिक मजदूरी भुगतान करना पड़ता। इसलिए मासूम बच्चों को 25 सौ रुपए देकर काम करवाया जा रहा। ताकि रंगाई पोताई में अधिक खर्च दिखाकर विभाग से ज्यादा पैसे लिया जा सकें।
कार्यवाही की मांग कर रहे ग्रामीण : बाल श्रमिक को अंजाम देने वालों के खिलाफ लंबी चौड़ी कार्यवाही का प्रावधान है जिसमें 6 माह से 3 वर्ष कारावास के अलावा 20 हजार से लेकर 50 हजार तक अर्थदंड का प्रावधान है और इसके मद्देनजर कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा प्रावधान अनुरूप कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। कलेक्टर से मुलाकात कर शिकायत करने की बात कह रहे। क्योंकि बाल श्रमिक अपराध से भली भांति अवगत होने के बाद भी पशु अधिकारी द्वारा छोटे-छोटे बच्चो से कड़ी धूप में काम कराया गया।
क्या कहते हैं पशु चिकित्सक : इस संबंध में जब पशु चिकित्सा चिकित्सा अधिकारी भीष्म कुमार साहू से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि मैंने भवन के नीचे हिस्सा पुताई के लिए बोला था लेकिन बच्चे शौक-शौक में पूरा पोताई कर रहे हैं।