रायपुर। केंद्र व राज्य सरकार के साथ बिजली विभाग भले ही लाख दावा करे पर घर-घर बिजली पहुंचाने की योजना अधर में है। गांव, मझरे, गली, मोहल्ले अभी भी बिजली को तरस रहे हैं। दूर दराज ग्रामीण अंचल तो छोडि़ए शहर से लगे मोहल्ले व बस्तियों में आज भी ढेर सारे ऐसे लोग भी हैं जो इस इंतजार में बैठे हैं कि विद्युत विभाग उनके मोहल्ले तक बिजली पहुंचाएगा। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगे पटेलपाली में भी एक ऐसी ही बस्ती है। जहां 25 परिवारों को बिजली की दरकार है। ग्राम पंचायत पटेलपाली गोहड़ीडीपा बस्ती के लोग बिजली विभाग और पंचायत का चक्कर पिछले कई साल से लगा रहे हैं, पर बस्ती अब तक बिजली से उनका मोहल्ला रौशन नहीं हुआ है। मोहल्लेवासियों ने बताया कि पटेलपाली गोहड़ीडीपा में 24 से ज्यादा परिवार बीते पांच साल से अंधेरे में जीवन यापन कर रहे हैं। इन्हें पीएम आवास के तहत पक्का मकान तो मिल गया, लेकिन बिजली नहीं मिली। ग्रामीण कई बार बिजली विभाग व कलेक्टर दरबार तक पहुंचे, लेकिन उन्होंने आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। बिजली विभाग के अफसरों का दावा है कि विद्युत पोल लगाने के लिए ग्राम पंचायत से अभिमत मांगा गया था, लेकिन ग्राम पंचायत की ओर से कोई रिस्पांंस नहीं दिया गया। बहरहाल बिजली विभाग व पंचायत की लापरवाही के कारण 24 परिवार अंधेरे में जीवन व्यतीत करने को मजबूर है।
लालटेन व चिमनी की रोशनी में बिता रहे जीवन: यहां रहने वाले अधिकांश परिवार मजदूरी कर अपना जीवन यापन करता है। कुछ परिवारों के बच्चे पढ़ लिखकर नौकरी भी कर रहे हैं। बिजली विभाग के रिकार्ड में बिजली पहुंचा दी गई है लेकिन गोहड़ीडीपा को नजरअंदाज कर दिया गया है। इस मोहल्ले के लोग अभी भी लालटेन युग में जी रहे हैं। दिन में परिवार के सदस्य बिना बिजली गर्मी और रात में दीपक, चिमनी और लालटेन की रोशनी में जीवन बिता रहा है।
मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे: पांच साल पहले उन्हें बीपीएल परिवारों को नजूल भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जमीन और उसपर मकान बनाकर दिए गए। आवास विहीन परिवार इन मकानों में शिफ्ट भी हो गए, लेकिन बिजली, सडक़ जैसी मूलभूत सुविधाएं उन्हें नहीं मिली। यहां तक की इस मोहल्ले में पीने की पानी के लिए कोई साधन नहीं है। ग्रामीणों को मुख्य बस्ती पटेलपाली की दौड़ लगानी पड़ती है।