नई दिल्ली। आईपीएल 2021 का लीग स्टेज अब खत्म हो गया है और आज से प्लेऑफ मुकाबले शुरू हो गए हैं। आज चेन्नई सुपर किंग्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच पहला क्वालीफायर मुकाबला खेला जाना है। इस मैच में जो भी टीम जीतेगी, वह सीधे फाइनल की टिकट कटा लेगी। वहीं हारने वाली टीम को फाइनल में पहुंचने का एक मौका और मिलेगा। हारने वाली टीम को शारजाह में सोमवार को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच खेले जाने वाले एलिमिनेटर मुकाबले के विजेता का सामना करना होगा। दुबई में होने वाले मुकाबले में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली सीएसके का पलड़ा भारी रहेगा क्योंकि उसके पास बड़े मैचों में खेलने का जबरदस्त अनुभव रखने वाले खिलाड़ी हैं. लेकिन दिल्ली को कमजोर मानना भी गलत होगा. दिल्ली की टीम लीग स्टेज में 20 अंक लेकर सबसे ऊपर रही और जिससे उनके प्रदर्शन में निरंतरता का पता चलता है. कोविड-19 के कारण टूर्नामेंट बीच में स्थगित होने के बावजूद दिल्ली ने अपनी निरंतरता बनाये रखी थी. चेन्नई ने पिछले साल चूकने के बाद फिर से प्लेऑफ में जगह बनायी है. उसने जिन 12 आईपीएल में हिस्सा लिया है उनमें से 11 बार उसकी टीम प्लेऑफ में पहुंची है. हालांकि आखिर में लगातार तीन मैच गंवाना उनके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को नागवार गुजरा होगा. दिल्ली को भी अपना पिछला मैच गंवाना पड़ा. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के केएस भरत ने अंतिम गेंद पर छक्का जड़कर दिल्ली को इस मैच में झटका दिया था. इससे उनकी स्थिति पर असर नहीं पड़ा लेकिन उसका आत्मविश्वास जरूर डिगा होगा. चेन्नई अब तक आठ बार फाइनल में जगह बना चुकी है जिनमें से तीन बार वह चैंपियन बनी है. इससे पता चलता है कि टीम जरूरत के समय में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की क्षमता रखती है. चेन्नई अपने उम्रदराज अनुभवी खिलाड़ियों पर विश्वास करता रहा है और अपनी टीम में अधिक फेरबदल भी नहीं करता है. ऋतुराज गायकवाड़ अपवाद कहे जा सकते हैं जिनके बारे में यह कहा जा सकता है कि वह पिछले एक दशक में चेन्नई सुपर किंग्स की पहली देन हैं.
कप्तान कूल को अनुभव पर भरोसा : धोनी का सिद्धांत स्पष्ट है जो आजमाये जा चुके हैं, जिन्हें अनुभव है उन पर भरोसा रखो और यही वजह है कि उनकी टीम में रवींद्र जडेजा, अंबाती रायडू, सुरेश रैना, ड्वेन ब्रावो और फाफ डु प्लेसी जैसे खिलाड़ी हैं. इनके अलावा जोश हेजलवुड और मोईन अली जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं और पूर्व भारतीय कप्तान धोनी को पता है कि वह किस तरह का संयोजन चाहते हैं. धोनी जानते हैं कि वह लंबे समय से अच्छी फॉर्म में नहीं हैं. उन्होंने 14 मैचों में केवल 96 रन बनाये. आईपीएल के दिग्गज सुरेश रैना भी 12 मैचों में 160 रन ही बना पाये लेकिन उनके पास गायकवाड़ (533 रन) और डु प्लेसी (546 रन) जैसे बल्लेबाज है जिन्होंने टीम को अक्सर ठोस शुरुआत दिलायी है. आखिरी ओवरों में जडेजा (227) अपनी बल्लेबाजी का कमाल दिखाते रहे हैं. इसी तरह से शार्दुल ठाकुर (14 मैचों में 18 विकेट) गेंदबाजी में कमाल दिखा रहे है लेकिन ड्वेन ब्रावो (12 विकेट) हमेशा की तरह उपयोगी योगदान देने के लिये तत्पर रहते हैं. हेजलवुड फॉर्म हासिल नहीं कर पाये थे लेकिन धोनी ने उन पर भरोसा बनाये रखा.
मजबूत गेंदबाजी के दम पर ही सबसे ऊपर रहा दिल्ली : दिल्ली कैपिटल्स ने भले ही लीग चरण में 10 मैच जीते लेकिन उनकी बल्लेबाजी में वैसा आत्मविश्वास नहीं दिखा. पृथ्वी शॉ (401 रन) और शिखर धवन (544 रन) ने कुछ अच्छी पारियां खेली लेकिन यूएई चरण में उसके बल्लेबाज दबदबा नहीं बना पाये. कप्तान ऋषभ पंत (362 रन) टुकड़ों में ही अच्छा प्रदर्शन कर पाए. मार्कस स्टोइनिस के चोटिल होने के कारण उनकी टीम का संतुलन गड़बड़ाया. शिमरोन हेटमायर ने डेथ ओवरों में अच्छी भूमिका निभायी लेकिन कोई अन्य बल्लेबाज ऐसा नहीं कर पाया. दिल्ली का मजबूत पक्ष उसकी गेंदबाजी है. अवेश खान (22 विकेट), अक्षर पटेल (15 विकेट), कगिसो रबाडा (13 विकेट) और एनरिक नोर्खिया (नौ विकेट) ने अब तक अपनी भूमिका बहुत अच्छी तरह से निभाई है.