उज्जैन: बाबा महाकाल के विस्तारीकरण के दौरान मंदिर क्षेत्र में चल रहे खुदाई कार्य अब रहस्य उगल रहे है, विगत साल भर से लगातार मिल रही परमार कालीन शिव परिवार की मूर्तिया, मंदिर की दीवार, ढांचा व अन्य जिसे आक्रमण कारी इल्तुमिश द्वारा दबा दिया गया था, उसके साथ ही अब 20 फुट गहरी खुदाई में टुकड़ों में बिखरे पड़े नर कंकाल भी खुदाई कार्य के दौरान मिल रहे है जिसकी पुष्टि खुद मौके पर मौजूद पुरात्तव विभाग के अधिकारियों ने की है। अधिकारी ने बताया कि परमार कालीन शिव परिवार की मूर्तियों संग मानव हड्डियां भी अब मिल रही है, ये हड्डियां कब की है ऑस्टियोलॉजी के अध्ययन के बाद ही इसकी अधिक जानकरी सामने आ पाएगी।
बता दें कि महाकाल मंदिर में सन 2012 -13 में 2016 के कुम्भ पर्व को लेकर महाकाल मंदिर में बनायीं जा रही टनल की खुदाई के दौरान भी तीन नर कंकाल मिले थे जिसकी जांच आज दिनांक तक नहीं हुई और उसे दबा दिया गया। दरअसल, उज्जैन में स्मार्ट सिटी के तहत महाकाल मंदिर विस्तारीकरण का कार्य किया जा रहा है लगभग 832 करोड़ की लागत से कार्य किया जा रहा है, जिसमें खुदाई की शुरुआत में पहले तो छोटी-छोटी मूर्तियां और कुछ दीवारें मिली खुदाई कार्य बढ़ने लगा 20 फुट गहराई में मजदूर पहुचें तो सामने आया कि यह मूर्तियां अति प्राचीन है जिनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने भोपाल पुरातत्व विभाग की टीम को उज्जैन बुलवाया और उन्हीं की देखरेख और संरक्षण में यह खुदाई कार्य करने की बात रखी, धीरे-धीरे खुदाई में परमार कालीन समय में बनवाई गई। भगवान की अलग-अलग मूर्तियां और करीब 1000 वर्ष पुराना मंदिर का ढांचा मिला, लेकिन अब खुदाई रहस्यमई होती जा रही है जगह जगह से मानव नर कंकाल की बिखरी हड्डियां मिल रही है जो कि एक बड़ा शोध का विषय है। माना ये भी जा रहा है कि जब इल्तुमिश (मुगलों) ने उज्जैन महाकाल मंदिर में आक्रमण किया उस समय पुरातत्व धरोहरों को बचाने वालो को भी इल्तुमिश ने जमीन में धोके से युद्ध के दौरान गाड़ दिया और मंदिरों पर हमला कर लूटपाट की, ये वही लोग है इसकी पुष्टि कोई भी जानकार अभी तक नहीं कर पाया है, इस बात का पुख्ता प्रमाण जांच के बाद ही सामने आएगा।
महाकाल परिसर में खुदाई के दौरान नरकंकाल मिलना कोई नई बात नहीं है इससे पहले भी खुदाई में तीन नर कंकाल मिल चुके हैं। दरअसल, सन 2012 -13 में 2016 के कुम्भ पर्व में महाकाल मंदिर में बनायीं जा रही टनल की खुदाई के दौरान भी तीन नर कंकाल मिले थे लेकिन उस दौरान कुम्भ पर्व के चल रहे कार्यो में नर कंकाल की बात दब गई और उन कंकालों की जांच नहीं की गई लेकिन इस बार जब पुरातत्व की टीम उज्जैन में बनी हुई है और उन्ही की देख रेख में काम चल रहा है। ऐसे में नर कंकालों और हड्डियों की जांच होना चाहिए ताकि वर्षो पुराने राज सामने आ सके।
पुरातत्व विभाग के अधिकारी गोविंद सिंह जोधा ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि खुदाई कार्य के दौरान पुरातत्व भोपाल टीम को 11 वीं शताब्दी का परमार कालीन मंदिर मिला है जो अब स्प्ष्ट रूप से ढांचे के रूप में दिखाई दे रहा है। शिव परिवार की मूर्तियां है, मंदिर के स्थापत्य खंड व उसके भाग है, वास्तु खंड, मंजरी, कलश, आमलक, मंदिर के ऊपर 6 फुट का मिट्टी का डिपॉसिट था। वहीं इसमें अब मानव हड्डियां मिलने लगी है जिसकी अध्ययन ऑस्ट्योलॉजी करेगा और जल्द ही स्तिथि स्पष्ट होगी। वहीं महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी महेश गुरु ने जानकरी देते हुए कहा कि नरकंकाल मिलना शोध का विषय है। सम्भवतः ये साधु संतों की समाधी की रही होगी, क्योंकि मन्दिर के अग्र भाग में कई संतो ने समाधि ली है।