39 करोड़ रुपए का कर्जदार है देश की बड़ी स्टील कंपनियों में शुमार जेएसपीएल, रायगढ़ नगर निगम ने भेजा नोटिस

रायपुर। देश की बड़ी स्टील कंपनियों में शुमार पूर्व सांसद नवीन जिंदल की जेएसपीएल कंपनी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ नगर निगम का कर्जदार है। कंपनी पर करीब 39 करोड रुपए संपत्तिकर बकाया है। रायगढ़ निगम ने जिंदल कंपनी को संपत्तिकर जमा करने के लिए नोटिस भेजा है। निगम ने जिंदल को तय समय पर राशि भुगतान नहीं करने पर नियम अनुरूप कार्रवाई की भी बात कही है। रायगढ़ नगर निगम के अधिकारी नए हो सकते हैं, पर रायगढ़ नगर निगम के ईमानदार जनप्रतिनिधि वहीं पुराने हैं। इन्हें रायगढ़ शहरवासियों से भी ज्यादा अच्छे से पता है कि निगम की इस नोटिस का कितना असर होगा। कुल मिलाकर कहे तो नोटिस नोटिस खेलने का गेम एक बार फिर शुरू हो गया है। कलेक्टर की अध्यक्षता में समझौते के बाद भी जिंदल ने संपत्तिकर की बकाया राशि भुगतान नहीं की है। निगम आयुक्त ने बकाया वसूल करने जिंदल को 2015 से अबतक की स्थिति में कुल 39 करोड़ रुपए का नोटिस भेजा है। निगम के अनुसार जिंदल बड़ा संपत्तिकर दाता है, लेकिन लंबे समय से राशि निगम को नहीं मिलने के कारण आर्थिक संकट निगम में बना हुआ है। निगम और जिंदल के बीच अबतक संपत्तिकर को लेकर खींचतान चल रहा है। साल 2019 में कोर्ट ने निगम और जिंदल के बीच चल रहे संपत्तिकर विवाद को आपसी समझौते से कर निर्धारण की बात कही थी। इसे लेकर कलेक्टर की अध्यक्षता में जिंदल और निगम के अफसरों के बीच बैठक हुई थी। बैठक में जिंदल ने साढ़े तीन करोड़ रुपए से ज्यादा राशि बतौर संपत्तिकर निगम को जल्द भुगातन करने की बात कही थी, लेकिन बैठक के लंबे अंतराल बाद भी जिंदल की तरफ से अबतक संपत्ति और समेकित कर का भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे में निगम जिंदल को 2015 के बाद से अबतक की बकाया संपत्ति और समेकित कर के लिए कुल 39 करोड़ रुपए का नोटिस जारी किया गया है। इस नोटिस में जिंदल को जल्द संपत्तिकर भुगातन करने को कहा गया है। निगम को यदि जिंदल से यह राशि मिली तो निगम फंड के अभाव में अटके पड़े महत्वपूर्ण कार्य पूरा कर सकता है।

 0.01 % के हिसाब से 15 करोड़ से ज्यादा निर्यातकर बकाया: साल 2011 में किरोड़ीमल नगर पंचायत हिसाब से प्राप्त पत्र के अनुसार जिंदल प्रतिवर्ष 16 से 17 सौ करोड़ का लोहा निर्यात करता है। यह आंकड़ा वर्तमान में और बढ़ चुका है, निगम के अनुसार साल 2013 से अबतक 0.01 प्रतिशत के हिसाब से जिंदल से करीब 15 करोड़ रुपए से अधिक राशि बतौर निर्यात शुल्क वसूल करने हैं। इसे लेकर दोनों के बीच अबतक मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

मूल्यांकन में ज्यादा मिली संपत्ति: कोर्ट से मामले में आपसी समझौते की सलाह के बाद निगम ने फिर से जिंदल की संपत्ति का मूल्याकंन कराया था। इस मूल्याकंन में निगम के प्लांट कॉलोनी के कुछ हिस्से के अलावा खाली पड़ी जिंदल की कई हेक्टेयर जमीन की भी निगम ने नापजोक की थी। निगम के अनुसार जिंदल ने जितनी संपत्ति निगम क्षेत्र के अंतर्गत बताई थी, उससे कहीं ज्यादा निगम को नापजोक में मिला है।

कोई ठोस वजह नहीं बता पा रहा जिंदल: रायगढ़ नगर निगम के कमिश्नर आशुतोष पांडेय ने कहा कि संपत्तिकर नहीं देने के पीछे जिंदल कोई ठोस वजह नहीं बता पा रहा है। समझौते के दौरान जिंदल ने पूर्व से ज्यादा राजस्व देने की बात कही थी, लेकिन अबतक उनके द्वारा कोई भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे में निगम की तरफ से संपत्ति और समेकित कर भुगतान के लिए 39 करोड़ का नोटिस भेजा है।

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