रायपुर। छग किसान सभा ने वर्ष 2020-21 की रबी फसलों के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य को किसानों की मेहनत पर डकैती करार दिया है और कहा है कि इसके खिलाफ 25 सितम्बर को किसान सड़कों पर उतरेंगे। छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋ षि गुप्ता ने संयुक्त रूप से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि रबी फसलों के समर्थन मूल्य में मात्र 50 से 225 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि को अपर्याप्त और धोखाधड़ीपूर्ण बताया है तथा कहा है कि ये घोषित कीमतें न केवल स्वामीनाथन आयोग की सी-2 लागत मूल्य के संगत में नहीं हैं, बल्कि इससे खेती-किसानी की भी लागत नहीं निकलती। किसान सभा ने कहा है कि पिछले वर्ष की तुलना में इन फसलों की कीमतों में मात्र 2 से 6 प्रतिशत के बीच ही वृद्धि की गई है जबकि इस अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई में 10 प्रतिशत और डीजल की कीमतों में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और किसानों को खाद, बीज व दवाई आदि कालाबाजारी में दोगुनी कीमत पर खरीदना पड़ा है। पिछले 6 वर्षों में खरीफ फसलों की कीमतों में हुई सालाना औसत वृद्धि का चार्ट भी पेश किया है। इस चार्ट के अनुसार वर्ष 2013-14 से वर्ष 2019-20 की अवधि में खरीफ फसलों के सकल समर्थन मूल्य में औसतन सालाना 9 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। खरीफ की विभिन्न फसलों में यह वृद्धि गेहूं के समर्थन मूल्य में औसतन 6.25 प्रतिशत की, जौ के समर्थन मूल्य में औसतन 6.44 प्रतिशत की, चना के मूल्य में 9.54 प्रतिशत की, मसूर में 10.45 प्रतिशत की, सरसो में 7.5 प्रतिशत की और कुसुम में औसतन 12.30 प्रतिशत की थी। लेकिन इसकी तुलना में इस वर्ष समर्थन मूल्य में सकल वृद्धि मात्र 4 प्रतिशत ही है, जो गेहूं के लिए 2.6 प्रतिशत, जौ के लिए 4.9 प्रतिशत, चना के लिए 4.6 प्रतिशत, मसूर के लिए 6.2 प्रतिशत, सरसो के लिए 5.1 प्रतिशत तथा कुसुम के लिए 2.1 प्रतिशत ही बैठती है।
किसान अब बाजार में बेचने मजबूर होंगे: किसान सभा नेताओं ने आरोप लगाया कि इस वर्ष समर्थन मूल्य में इतनी कम वृद्धि इसलिए की गई है कि कृषि विरोधी कानूनों के पारित होने से व्यवहारिक रूप से सरकारी मंडियां बंद होने के बाद अब किसान अपनी फसल बाजार में बेचने के लिए मजबूर होंगे और समर्थन मूल्य न देने की बाध्यता के कारण अब इसका सीधा फायदा कॉर्पोरेट कंपनियों को मिलेगा।
25 को सड़कों पर उतरेंगे किसान: किसान सभा ने कहा है कि मोदी सरकार की इन कृषि विरोधी, किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 25 सितम्बर को पूरे देश के किसान सड़कों पर उतरेंगे। छग किसान सभा ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के 25 सितम्बर को कृषि विरोधी नीतियों व कानूनों के खिलाफ भारत बंद के आव्हान का भी समर्थन किया है।