Thursday, November 21, 2024
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19 साल से शर्मा परिवार को बेटे की हत्या के आरोपियों की तलाश, इंसाफ के लिए छग पुलिस पर भरोसा उठा, सीबीआई जांच कराने की मांग

रायपुर। 19 साल का समय बीतने के बाद भी 23 वर्षीय युवक की भिलाई बटालियन के सामने रेलवे ट्रेक पर हुई हत्या के मामले में पुलिस किसी नतीजे तक नहीं पहुंची है। अब स्थिति यह हो गई है पीडि़त परिवार इंसाफ के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस पर भरोसा नहीं कर सीबीआई से मामले की जांच कराने की मांग कर रहे हैं। मंगलवार की दोपहर रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्र्रेंस में चौबे कॉलोनी निवासी रामेश्वर प्रसाद दीक्षित ने मीडिया को बताया कि रिश्ते में उनके समधी शिवरीनारायण निवासी राधेश्याम शर्मा के 23 वर्षीय बेटे विमल शर्मा की हत्या 22-23 जून 2001 की दरमियानी रात भिलाई बटालियन के सामने रेलवे लाइन पर अज्ञात आरोपियों ने हॉकी डंडा से मार-मार कर हत्या कर दी थी। इस मामले में सुपेला पुलिस द्वारा अपराध क्रमांक 341/2001 धारा 302 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। इस मामले में 19 साल बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस केस को पुलिस ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। उन्होंने इसकी शिकायत तात्कालीन मुख्यमंत्री, डीजीपी, गृह मंत्री से लेकर वर्तमान के सीएम, डीजी, गृह मंत्री समेत अन्य अफसरों से की है, लेकिन किसी ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद उन्होंने सीआईडी जांच के लिए सहायक पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा और तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक द्वारा जांच के लिए आदेश दिया गया, किंतु आज तक कोई जांच नहीं हुई है। वर्तमान में इस मामले की जांच उप पुलिस अधीक्षक क्राइम प्रवीरचंद तिवारी भिलाई द्वारा की जा रही है। उन्हें बार-बार केस के प्रोगे्रस के बारे में पूछने पर कोई उत्तर नहीं देते, बल्कि उल्टे डीजीपी से बोलकर उनका ट्रांसफर कर देने व सस्पेंड करा देने की धमकी देकर दुव्र्यवहार किया जाता है। पुलिस की इस रवैय्ये से अब शर्मा परिवार को छत्तीसगढ़ पुलिस पर भरोसा नहीं रहा। इसलिए इस केस की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं।

आरोपियों ने कबूल कर लिया था अपना जुर्म: रामेश्वर प्रसाद दीक्षित का आरोप है कि प्रारंभिक जांच में पुलिस ने विमल शर्मा के मित्र विनय राजपूत पिता मोहर सिंह निवासी सतना जो रायपुर में पढ़ रहा था उससे पूछताछ करने पर अपने पांच-छह साथियों के साथ हत्या करना कबूल किया था। सुपेला के तत्कालीन थाना प्रभारी अशोक शर्मा ने चालान कोर्ट में पेश करने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसके पहले तत्कालीन गृह मंत्री के दबाव में तत्कालीन एसपी ने उनका ट्रांसफर कर दिया और आरोपियों की गिरफ्तारी हुई ही नहीं।