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10 साल में रमन सिंह की संपत्ति दस गुना कैसे बढ़ गई-कांग्रेस,प्रधानमंत्री से की जांच करने की मांग, पूर्व सीएम से कहा दें जवाब

रायपुर। रमन सिंह की संपत्तियां 2008 से 2018 के तीन चुनावों के बीच कैसे दस गुना से अधिक बढ़ गयी? उन्होंने ऐसा क्या किया जिससे उनकी संपत्तियां इस तरह बढ़ती गईं? उनके और उनकी पत्नी के पास इतना पैसा कहां से आया? साधारण परिवार, न करोबार न उद्योग। पूरा छत्तीसगढ़ जानता हैं कि रमन सिंह एक अत्यंत सामान्य आर्थिक परिस्थिति के परिवार से आते हैं और उनके परिवार के पास न तो अधिक जमीन जायजाद है और न कोई पुश्तैनी कारोबार या उद्योग है। उनके पिता विघ्नहरण सिंह एक सामान्य वकील थे।
खुद रमन सिंह ने आयुर्वेद में डिग्री ली है और वे कवर्धा में एक असफल डॉक्टर के रूप में कार्यरत रहे। उन पर आश्रित बच्चों ने प्रोफेशनल डिग्रियां ली हैं और जाहिर है कि इसमें भी अच्छा ख़ासा पैसा खर्च हुआ होगा। लेकिन उनकी संपत्ति में आय से कई गुना अधिक की वृद्धि हुई है। उक्त बातें छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने कही। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि रमन सिंह ने 15 साल तक मुख्यमंत्री रहते हुए घोटालेबाजी से धन अर्जित की है। इसकी जांच होनी चाहिए। 2008 से 13 के बीच यानी रमन सिंह के दूसरे कार्यकाल में सबसे अधिक घोटाले हुए और इसी बीच रमन सिंह की संपत्ति भी बेतहाशा बढ़ी। घोटालों और संपत्ति में बढ़ोत्तरी का समीकरण सीधा है और इसकी जांच होनी चाहिए। इस पूरे मामले की शिकायत ईओडब्लू और प्रधानमंत्री कार्यालय से की जा चुकी है। कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वे ‘न खाउंगा न खाने दूंगा’ के अपने वादे पर अमल करें और बहुत कुछ खाकर सत्ता खो चुके रमन सिंह के खिलाफ भी जांच के आदेश दें।
राज्य की जनता को खुद जवाब दें रमन-प्रदेश कांग्रेस ने डॉ रमन सिंह से मांग है कि वे भी अपनी और अपनी पत्नी की संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोत्तरी का हिसाब राज्य की जनता को दें। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की पत्नी वीणा सिंह और बेटे अभिषेक सिंह की भी संपत्ति का हिसाब देने की मांग की है।
1 करोड़ 4 लाख की थी संंपत्ति: चुनाव लड़ते वक्त आयोग के निर्देशानुसार संपत्तियों, कमाई और खर्च का विवरण शपथ पत्र में देना होता है। वर्ष 2008 में विस चुनाव के समय रमन सिंह ने अपने नामांकन पत्र में एक करोड़ चार लाख की संपत्ति बताई थी। उस समय तक रमन सिंह मुख्यमंत्री के रूप में एक कार्यकाल पूरा कर चुके थे। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने ऐसा उल्लेखनीय कार्य करना शुरु किया जिससे कि उनकी संपत्ति अगले चुनाव तक यानी वर्ष 2013 तक बढक़र पांच करोड़ 61 लाख हो चुकी थी। 2018 में उन्होंने चुनाव आयोग को बताया कि उनकी संपत्ति दो गुना होकर 10 करोड़ 72 लाख हो चुकी थी।
ऐसा कौन सा कार्य किया जिससे संपत्ति बढ़ती गई-यह स्थिति तब है जब उनकी आय अत्यंत सीमित थी वर्ष 2012-13 में उन्होंने जो आयकर रिटर्न भरा था उसके अनुसार उनकी आय 14 लाख 60 हजार के करीब थी. इसी दौरान उनकी पत्नी की आय 12 लाख 52 हजार के करीब थी। वर्ष 2013 में रमन सिंह पर 28 लाख से अधिक का कर्ज था. लेकिन वह भी उन्होंने पांच साल के भीतर चुका दिया था क्योंकि वर्ष 2018 के चुनाव में उन्होंने बताया है कि उन पर कुल देनदारी तीन हजार रुपए ही बची थी। यह इतना बड़ा कर्ज उन्होंने कैसे चुकाया? इतनी कम आय में संपत्तियां दस गुना कैसे बढ़ी यह जांच का विषय है?
मुख्यमंत्री की कुर्सी ने उगला सोना चांदी-2008 से 2018 तक के विवरण को यदि आप सरसरी तौर पर भी देखें तो आपको लगेगा कि पता नहीं रमन सिंह और उनकी पत्नी को ऐसा कौन सा पारस पत्थर मिल गया था कि उनके पास सोना और चांदी की मात्रा बेतहाशा बढ़ती रही। 2008 के चुनाव के वक्त रमन सिंह के पास 23 तोला सोना था जो वर्ष 2013 के चुनाव तक बढक़र 55 तोला हो चुका था. इसकी कीमत भी बढक़र पांच लाख से 26.40 लाख हो चुकी थी। इसी अवधि में रमन सिंह की पत्नी श्रीमती वीणा सिंह के पास सोना चार गुना बढ़ चुका था।
55 तोले से 217 ताला हो गई सोना: चुनावी शपथ पत्र के अनुसार वीणा सिंह के पास सोना 55 तोले से बढक़र 217 तोला हो गया था। 2013 के चुनाव तक वीणा सिंह के पास दो किलो से अधिक सोना हो चुका था। कीमत के अनुसार देखें तो 7.5 लाख रुपए के सोने से वे 80.80 लाख के सोने तक पहुंच चुकी थीं। पति पत्नी दोनों की आय लगभग 27 लाख रुपए सालाना थी लेकिन उनकी संपत्ति पांच गुना बढक़र एक करोढ़ से पांच करोड़ हो चुकी थी। 2008 से 2013 के बीच सोना ही नहीं चांदी भी आठ किलो से बढक़र 18 किलो हो चुका था।
बैंक में पैसा बढ़ता गया: 2008 से 2018 तक का आकलन करें तो आप पाएंगे कि सीमित आय और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद रमन सिंह और उनकी पत्नी के बैंक खातों में जमा धन राशि भी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रही। मुख्यमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद यानी वर्ष 2008 में सिंह दंपत्ति के पास बैंक खातों में पांच लाख 43 हजार रुपए थे। लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल पूरा होते होते तक उनके खातों में 61 लाख 61 हजार रुपए जमा हो चुके थे। तीसरा कार्यकाल पूरा करते तक उनके खातों में लगभग 1.40 करोड़ रुपए जमा हो चुके थे।
कहां से आए करोड़ों अभिषेक सिंह के पास: रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह ने 33 वर्ष की उम्र में पहली बार चुनाव लड़ा। उन्होंने अपने चुनावी शपथ पत्र में लिखा है कि उनकी वार्षिक आय उस समय 19.89 लाख रुपए थी जबकि उनकी कुल परिसंपत्तियां तीन करोड़ से अधिक की हैं। डॉ रमन सिंह को छत्तीसगढ़ की जनता को बताना चाहिए कि अभिषेक सिंह ऐसे किस काम से जुड़े हुए थे जिसकी वजह से उनकी आय इस तरह बढ़ रही थी और वे करोड़ों के मालिक बन चुके थे।

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