रायपुर। जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करेगी, हम पीछे हटने वाले नहीं है। सरकार को हम उनका वायदा याद दिलाकर मुंह तोड़ जवाब देंगे। इसलिए हमारे बीच अब हमारा परिवार भी आंदोलन में शामिल होगा। वैसे भी हम बेरोजगार हैं, सरकार हमें तनख्वाह नहीं दे रही। हमारा परिवार आर्थिक परेशानी से गुजर रहा है, बच्चे भूखे मर रहे हैं तो क्यों न हमारी लड़ाई में शरीक होते हुए हमारा साथ दें। सरकार अगर अपना वायदा नहीं पूरा करती है तो वे अपनी मांगों को मनवाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। ये कहना है कि छत्तीसगढ़ विद्यामितान संघ प्रमुख धर्मेंद्र वैष्णव का। प्रदेशभर के गेस्ट टीचर अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर पिछले एक महीने से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा किसी भी प्रकार से सुध नहीं लेने से अतिथि शिक्षकों में भारी रोष है। पिछले तीन सालों से छत्तीसगढ़ के ग्रामीण व माओवादी क्षेत्रों में गेस्ट टीचर बनकर पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों को नियमितीकरण करने की मांग को लेकर विद्यामितान कल्याण संघ छत्तीसगढ़ के बैनर तले 27 अक्टूबर से राजधानी के बूढ़ातालाब धरनास्थल में अनिश्चित काल के धरने की शुरूआत की गई थी, लेकिन 1 महीने से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी उनकी समस्या का समाधान तो दूर इस तरफ कोई ध्यान भी नहीं दिया। जिससे गेस्ट टीचरों में भारी रोष बना हुआ है। संघ के सदस्य प्रिंस साहू ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही अतिथि शिक्षकों को नियमित नहीं किया गया तो आंदोलित विद्यामितान सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ेंगे।
आखिरी सांस तक चलेगी हमारी लड़ाई: आंदोलनकारित विद्यामितान सुरेश कुमार ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के तात्कालीन प्रदेशाध्यक्ष व वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व तात्कालीन नेता प्रतिपक्ष व वर्तमान ग्रामीण एवं पंचायत विकास मंत्री टीएस सिंहदेव समेत सभी बड़े नेताओं ने सरकार बनते ही 10 दिनों के भीतर सभी गेस्ट टीचरों को पहली कलम से नियमित करने का वायदा किया था लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी उन्हें नियमित करना तो दूर उनके 300 से ज्यादा साथियों की रोजी रोटी छीनने का काम किया है। जिससे गेस्ट टीचरों में भारी रोष है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अपनी मांगों को लेकर आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ेंगे। अगर जल्द ही सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो सरकार की पोल खोलने का काम करेंगे।
समस्या हल करने की कर रहे कोशिश: तीन दिन पहले सीएम आवास में भूपेश कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई थी जिसमें अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण करने की मांग को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई। इससे गेस्ट टीचरों में भारी आक्रोश है। कैबिनेट बैठक में अतिथि शिक्षकों का मुद्दा नहीं रखने पर प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि कैबिनेट में तय विषयों को रखा जाता है। अतिथि शिक्षकों का मामला इसमें शामिल ही नहीं था। इसलिए इस पर चर्चा नहीं कर पाए। सरकार की पूरी सहानुभूति अतिथि शिक्षकों के साथ है। सरकार उनकी समस्या को दूर करने के लिए प्रयासरत है। जल्द ही कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा।
2016 में बीजेपी सरकार में हुई थी नियुक्ति: नक्सली इलाकों में व दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए 2016 में विद्यामितानिनों की नियुक्ति तात्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा की गई थी। पूरे प्रदेश में इनकी संख्या 2507 है। इन्हें महज 12 से 18 हजार रुपए प्रति महीने मानदेय दिया जा रहा था। मार्च 2020 तक इनकी सेवा ली गई, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के बाद से स्कूल बंद होने के बाद उन्हें वेतन भी नहीं मिल रहा।