Friday, November 8, 2024
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सरकार को आईना दिखाती हुई तस्वीर! जुगाड़ के पुल पर जोखिम में जान, दो पेड़ों के सहारे बिजली तार के जुगाड़ से देशी तकनीक से ग्रामीणों का सेतु

सुकमा। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में भारी बारिश हो रही है। सीमावर्ती जिले सुकमा और बीजापुर में बारिश से लोगों का हाल बेहाल है। लगातार बारिश से नदी-नाले उफ ान पर हैं। सुविधाओं की कमी के चलते ग्रामीण मौत से जंग लड़कर बारिश का सामना आए दिन कर रहे हैं। सुकमा से ऐसे ही हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आयी है। इसमें देशी जुगाड़ से ग्रामीण उफ नते नदी-नाले के ऊपर देशी जुगाड़ से सेतु का निर्माण किया है। दरअसल, यहां बिजली सप्लाई के लिए जिस तार का उपयोग मेन लाइन के लिए किया जाता है, उसी तार का उपयोग कर ग्रामीणों ने करीब 70 से 80 मीटर से अधिक लम्बा पुल मलगेर नदी को पार करने के लिए बनाया है।ग्रामीणों के लिए भले ही बारिश के दिनों में यह दिनचर्या का हिस्सा हो, लेकिन ये नजारा देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे वे खतरा मोल ले रहे हैं। सुकमा जिला के नागलगुड़ा के लोगों ने शासन और प्रशासन से मदद की आश छोड़कर अपनी जरूरतों को ध्यान में रख गांव की सहूलियत के लिए ग्रामीणों ने पारंपरिक देशी तकनीक के जुगाड़ से पुल का निर्माण कर डाला।

लकड़ी के पट्टों का इस्तेमाल किया गया है।

बिजली के तार से पुल का जुगाड़ : सुकमा जिला के गादीरास तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत मानकपाल के नागलगुड़ा में ग्रामीणों ने बिजली तार से जुगाड़ का पुल का निर्माण किया गया है। इस पुल से बारिश के दिनों में ग्रामीणों को आने जाने की सुविधा उपलब्ध हों सके। ग्रामीणों के मुताबिक इस पुल का निर्माण करीब 10 वर्ष पहले निर्माण किया गया था। क्योंकि नदी के दूसरे और खेत व बाजार होने के कारण से बारिश के दिनों में नदी पर कर जाने में दिक्कत होती थी। जिसके कारण से सभी ग्रामीणों ने मिलकर यहां पर बिजली तार के मदद से पुल का निर्माण किया गया है।

पुल को बनाने बिजली के तार का भी इस्तेमाल किया गया है।

 

विकास के दावों पर नाकामी का आइना : सुकमा जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी की दूरी पर मलगेर नदी पर नागलगुड़ा में बना यह पुल कई तरह से शासन और प्रशासन को आईना दिखा रहा जो प्रशासन विकास के नाम पर वाहवाही लूटते नहीं थकते। सरकार के भरोसे रह कर परेशानियों को झेलने से बेहतर ग्रामीणों ने खुद ही अपनी जुगाड़ कर विपरीत परिस्थितियों से मुक्ति पा लिया। ऐसा नहीं है की शासन प्रशासन इससे अनजान थे। ग्रामीणों ने अपने स्तर पर कई बार पुल निर्माण की गुहार लगाई, लेकिन कभी ध्यान ही नहीं दिया गया।

दो पेड़ों के बीच पुल बनाया गया है।

खेत-खलिहान नदी के उस पार : ग्रामीणों के खेत नदी के उस पार हैं, पुल नहीं होने के चलते खेती किसानी के साथ साथ रोजमर्रा की जिंदगी काफ ी प्रभावित होती हैं। नदी के उस पार दो पंचायत के करीब आधा दर्जन गांव हैं। आखिरकार ग्रामीणों ने खुद ही अपनी समस्या का समाधान करने का सोचा और आवश्यकता ही अविष्कार की जननी कहावत को चरितार्थ करते हुए लकड़ी व तार के सहारे नदी पर जुगाड़ का पुल तैयार कर लिया। अब ग्रामीण इसी पुल के सहारे सप्ताहिक बाजार से रोजमर्रा के सामान की खरीदी भी करते हैं। और साथ ही खेती किसानी भी उनकी आसानी हो जा रही हैं। जुगाड़ का पुल ग्रामीणों ने बना तो लिया हैं। लेकिन यह खतरनाक हैं पुल पर चलने के दौरान हिलता हैं बच्चों के साथ पार करना खतरनाक है।

बीजापुर में CRPF कैंप डूबने की कगार पर है।

इस पुल से होती है दूरी कम : ग्रामीणों ने इस पुल के बनाने के पीछे का असली उद्देश बताते हुए कहा की अगर मुख्य मार्ग तक पहुंचना हो तो कच्ची सड़क और पगडंडियों का उपयोग कर लोगों को 40 से 50 किमी का सफ र करने पैदल चलकर तहसील मुख्यालय होते हुए तय करना पड़ता हैं, लेकिन इस पुल के बनाने से पुल के सहारे घंटों का सफ र कम दूरी में चंद मिनटों में सफ र पूरा हो जाता है। इस वजह से स्थानीय ग्रामीण इस पुल का सहारा लेकर अपने काम काज के सफ र पर जाते है। जो क्षेत्र के आधा दर्जन गांव ग्राम पंचायतों के लिए राहत देता है। सुकमा जिला में ये प्रशासन और सरकार की नाकामियों का एक मात्र उदाहरण नहीं हैं। जिले में ऐसे कई दर्जनों गांव हैं। जहां आज भी लोग सरकार के विकास के वादों के ढकोसलों की उम्मीद में सड़क पुल पुलिया जैसे बुनियाद सुविधाओं से महरूम हैं।