रायगढ़। पिछले मार्च माह में जिले के ट्रेलर मालिकों, ट्रांसपोर्टर और प्लांट के बीच भाड़े को लेकर समझौते के बाद डीजल के दाम लगभग 5 रुपये बढ़े हैं। वहीं गाड़ी मालिकों को मिलने वाले एस्केलेशन का अब तक कोई पता नहीं है, जिससे एक बार फिर इन पक्षों के आमने सामने होने के आसार बन रहे हैं। डीजल के दाम बढऩे के साथ ही ट्रेलर मालिक संघ को मिलने वाले डीजल एस्केलेशन का मुद्दा भी बड़ा होने लगा है। वर्तमान के तय भाड़े पर जब सहमति बनाई गई थी तो डीजल का दाम 88 रुपए के करीब चल रहा था। वहीं 30 मई की स्थिति तक यह 92 रुपए 65 पैसे पहुंच चुका है। इस तरह करीबन दो महीनों के अंतराल में डीजल का दाम 5 रुपए बढ़ चुका है, लेकिन अब तक ट्रेलर मालिकों को तय डीजल एस्केलेशन नहीं मिला है। असल में भाड़े को लेकर हुए जद्दोजहद के दौरान डीजल का बढ़ रहा दाम भी एक अहम मसला था। जिस पर पहले ही विभिन्न उद्योगों ने अपनी राय स्पष्ट करते हुए कहा था कि उनके द्वारा डीजल के दाम बढऩे पर डीजल एस्केलेशन दिया जाता है। वहीं ट्रांसपोर्टर भी मौखिक रूप डीजल एस्केलेशन के लिए राजी हो चुके थे। इसके लिए डीजल के बढ़े हुए दाम के हिसाब से तय राशि गाड़ी मालिकों को दी जानी थी, पर अब तक ऐसा नहीं किया गया है। इस विषय में जब गाड़ी ट्रांसपोर्टिंग से जुड़े विभिन्न पक्षों से बात की गई तो उनका कहना है कि फॉर्मूला बन चुका है, विभिन्न उद्योगों ने भी अपने करार के तहत ट्रांसपोर्टर को एस्केलेशन की राशि भी सौंप दी है, लेकिन अब मामला ट्रांसपोर्टर की ओर से ही अटका हुआ है। गाड़ी मालिकों की इस विषय में ट्रांसपोर्टर से बात की पहल की जा रही है, लेकिन फिलहाल डीजल एस्केलेशन की राशि गाड़ी मालिकों को नहीं सौंपी गई है। वही टायर के रेट पार्ट्स के रेट ड्राइवर मजदूरी के साथ ही साथ मिस्त्री की भी मजबूरी में लगातार इजाफा हो रहा है जिसका की समस्त भुगतान गाड़ी मालिक को वर्तमान में चल रहे भाड़े में ही वाहन करना पड़ रहा है।
डीजल एस्केलेशन ट्रांसपोर्टर्स से गाड़ी मालिकों को मिलना है, उद्योग की तरफ से कोई समस्या नहीं है। फिलहाल बातचीत की जा रही है, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद ही सही समाधान किया जा सकेगा।
आशीष यादव, गाड़ी मालिक
पहले से ही डीजल एस्केलेशन के लिए फॉर्मूला तय किया जा चुका है। बातचीत भी हो रही है, लेकिन कुछ ऑफिशियल काम भी इसमें करना होगा जो कि लॉकडाउन के बाद ऑफिस खुलने पर ही संभव है।
अशोक अग्रवाल, गाड़ी मालिक
लॉकडाउन के दौरान न केवल डीजल के दाम बढ़े बल्कि ढाबा, ऑटो पार्ट्स और रिपेयरिंग की सुविधा बंद होने से ड्रायवर अपने घरों को लौटने पर मजबूर हुए। इससे 70 प्रतिशत गाडिय़ां खड़ी हो गईं और हमारे टैक्स और खर्चों में कोई कमी नहीं आई है। ऐसे में प्रशासन को हमारी स्थिति समझनी चाहिए।
सतीश चौबे, गाड़ी मालिक
डीजल के दाम बढऩे के बाद एस्केलेशन नहीं मिलने से भी हमें बड़ा आघात लगा है। अब जब डीजल की कीमत 5 रुपए से अधिक बढ़ चुकी है तो हमें हर ट्रिप पर 300 रुपए से 600 रुपए तक का नुकसान हो रहा है।
संजय शर्मा,गाड़ी मालिक।