बरमकेला। सिंचाई के लिए छत्तीसगढ़ में नहरों का जाल जरूर बिछा है, लेकिन किसान को सिंचाई के लिए समय पर पानी नहीं मिल पाता। हालात तो यहां तक हैं कि अब ग्रामीणों को अपने निजी खर्चों से नहर की सफाई करवानी पड़ रही है। जबकि खेतों में नहरों के जरिए पानी पहुंचाने के लिए हर साल लाखों रुपए खर्च करके नहरों की साफ-सफाई कराई जाती है, लेकिन सिंचाई विभाग के अफसर नहरों की सफाई के लिए आया पैसा भी हजम कर जाते हैं। वर्तमान समय में जिले की ज्यादातर नहरें घास और गंदगी से पटी पड़ी हैं। ऐसे में नहरों में पानी भी छोड़ा जाएगा तो खेतों तक पहुंचना असंभव है। ऐसा ही नजारा शुक्रवार को छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक अंतर्गत ग्राम परसाडीह में देखने को मिला। जब नहर में उग आए झाड़-झंखाड़ की सफाई श्रमदान व स्वयं के खर्चे से जेसीबी किराए में लेकर कर डाली। परसाडीह के युवा किसान अनिल पटेल ने बताया कि उनके गांव के खेतों में धौरादरहा में स्थित किंकारी डैम से पानी नहर के जरिए पहुंचता है, लेकिन नहर की साफ सफाई नहीं होने के कारण उनके खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा था। ऊपर से इंद्रदेव भी रुठे हुए हैं। वर्तमान समय में धान की फसलों को पानी की सख्त जरुरत है। इसलिए गांव के नाराज किसानों व ग्रामीणों ने शुक्रवार को स्वयं चंदा इकट्ठा कर जेसीबी से सफाई करवा रहे हैं।
शिकायत के बाद भी अफसर नहीं दे रहे ध्यान : किसानों ने आरोप लगाया कि कई बार सिंचाई विभाग से नहर की साफ-सफाई कराने के लिए कहे जाने के बाद भी विभागीय अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इससे किसानों का सब्र का बांध टूट गया है। किंकारी डैम के पानी पर आश्रित गांवों के किसानों ने अपने अपने क्षेत्र के अंतर्गत नहरों की सफाई अपने निजी खर्च से करवानी शुरू कर दी है साथ ही खुद भी श्रमदान किया।
जिम्मेदार बयानबाजी में आगे : ग्रामीणों के द्वारा चंदा वसूल के जेसीबी के माध्यम से सफाई कराने पर जब ग्रामीणों से बात की गई तो उनका कहना है कि नहर विभाग की सफाई सिर्फ कागजों पर होती है धरातल पर कुछ नहीं होता हम लोग हर साल चंदा वसूल कर नहर की सफाई कराते हैं जबकि जिले के जिम्मेदार सिर्फ बयानबाजी में आगे हैं।