रायगढ़। जिले में खाद परिवहन घोटाले की जांच पूरी हो चुकी है। मिली जानकारी के मुताबिक जांच में ट्रांसपोर्टरों, अपेक्स बैंक और गोदाम प्रभारियों के सांठगांठ की पुष्टि हो गई है। इन सभी ने मिलकर समिति के एकाउंट से 40 लाख रुपए की हेराफेरी की है। कमेटी ने दोषियों पर कार्रवाई के अलावा पूरी रकम वसूलने की अनुशंसा भी की है। रायगढ़ के इतिहास में यह बेहद पेचीदा घोटाला था। रैक प्वाइंट में खाद उतरने के बाद समिति में पहुंचाने के बीच ट्रांसपोर्टरों, मार्कफेड के गोदाम प्रभारियों और अपेक्स बैंक के शाखा प्रबंधक व पर्यवेक्षकों ने मिलकर इस घपले को अंजाम दिया है। जिले में मार्कफेड के छह गोदामों के अलावा 33 ऐसी समितियां जिन्हें डबल लॉक सेंटर की मान्यता दी गई है। इन समितियों में खाद भंडारण नि:शुल्क किया जाना है। घपला करने वालों ने एक ही गाड़ी से कंपनी के ट्र्रांसपोर्टर और अपेक्स बैंक के ट्रांसपोर्टर से एक ही समिति में एक ही दिन खाद का दो बार परिवहन करने की बिलिंग करवा दी। अपेक्स बैंक के पर्यवेक्षक ने गोदाम से काटे गए डिलीवरी मेमो को बिना चेक किए भुगतान करने की अनुमति दे दी जबकि खाद का परिवहन तो एक ही बार हुआ है। दो बार एक ही गाड़ी से एक ही समिति में भंडारण के बिल पास कर दिए गए। डबल लॉक सेंटर समितियों के एकाउंट से केवल 19-20 में ही करीब 40 लाख रुपए भुगतान कर दिया गया।
इस घोटाले को एक स्थानीय अखबार ने किया था खुलासा- इस घोटाले को रायगढ़ के एक स्थानीय अखबार ने उजागर किया था जिसके बाद कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे। जांच कमेटी में डिप्टी कलेक्टर आशीष देवांगन, डीएमओ आशुतोष कोसरिया, डीडीए एलएम भगत, डीआरसीएस शिल्पा अग्रवाल और सहायक कोषालय अधिकारी विनोद बहिदार शामिल थे। जांच कमेटी ने पूरे बिलों की छानबीन की जिसमें पूरा घपला पकड़ में आ गया। चार ट्र्रांसपोर्टरों रमेश अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, नटवर लाल डनसेना और सुरजीत सिंह स्याल ने अपेक्स बैंक पर्यवेक्षकों से मिलकर समितियों के खाते से 40,54,484 रुपए का भुगतान बिना काम के प्राप्त कर लिया। यह राशि डबल बिल लगाकर हासिल की गई। समितियों को आर्थिक हानि पहुंचाकर अपनी जेबें भरने वालों के विरुद्ध अब कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इस नुकसान के लिए जांच कमेटी ने मार्कफेड के गोदाम प्रभारी, बैंक पर्यवेक्षक, शाखा प्रबंधक और कंपनी के विक्रय प्रतिनिधि को जिम्मेदार माना है।
ऐसे की गड़बड़ी……जांच कमेटी ने रिपोर्ट में बताया है कि रायगढ़ जिले का खाद खरसिया रैक प्वाइंट पर उतरता है। वहां से कंपनी के ट्रांसपोर्टर की जिम्मेदारी होती है कि वह छह गोदामों और 33 डबल लॉक सेंटरों में खाद का भंडारण करे। ऐसे कई बिल मिले जिसमें कंपनी ट्रांसपोर्टर और अपेक्स बैंक के ट्रांसपोर्टर दोनों के बिलों में गाड़ी नंबर, तारीख और समिति भी एक समान थी। रैक प्वाइंट से मार्कफेड के गोदाम में खाद उतारना दिखाया गया और फिर लोड कर समितियों में परिवहन दर्शाया गया जबकि गाड़ी सीधे समिति पहुंची। दो पार्ट में तोड़कर बिलिंग की गई। गोदाम प्रभारी ने ट्रांसपोर्टर को डिलीवरी मेमो काटकर दिया जिसका परीक्षण किए बिना ही अपेक्स बैंक ने समिति के एकाउंट से राशि काट ली।
दो अलग-अलग बिल लेकिन भंडारण एक ही बार……वर्ष 19-20 में रायगढ़ जिले को खरीफ और रबी मिलाकर कुल 46,253 टन खाद प्राप्त हुआ। खाद कंपनी के ट्रांसपोर्टर डीजी ट्रांसपोर्ट द्वारा दिए बिलों को देखा गया तो पता चला कि 22 अगस्त 2019 को रैक प्वाइंट से सात गाडिय़ां सीधे सात समितियों में भंडारण करने पहुंची। जबकि अपेक्स बैंक के पर्यवेक्षक ने इन्हीं सात गाडिय़ों को पहले मार्कफेड के गोदाम में आना दिखाया और वहां से डिलीवरी मेमो देकर अपने ट्र्रांसपोर्टर सुरजीत सिंह और नटवर लाल डनसेना से भंडारण करना बताया। मतलब एक ही गाड़ी से एक ही दिन में दो अलग-अलग ट्रांसपोर्टरों ने भंडारण करने का दावा किया और भुगतान भी ले लिया। जांच टीम ने चार ट्रांसपोर्टरों को हुए ऐसे फर्जी व डबल भुगतान का आंकड़ा भी निकाला है, जिसके आधार पर रिकवरी की अनुशंसा की गई है।