रायगढ़। छग के रायगढ़ जिले में कोयला चोरी पर कभी लगाम नहीं लगाई जा सकती। रसूखदारों ने ऐसा सेटअप लगाया है कि अब कोल साइडिंग से भी बड़ी सफाई से चोरी की जा रही है। खरसिया पुलिस ने सोमवार देर रात कोयले से लदी तीन हाइवा को रोककर जांच की। पता चला कि तीनों वाहन रुकमणी पावर प्लांट जा रहे हैं। तीनों में कोई टीपी नहीं मिली लेकिन बाद में अचानक से मैन्युअल ट्रांजिट पास प्रस्तुत कर दिए गए। पुलिस की इस कार्रवाई ने एक बार फिर जिले में कोयला तस्करी के खेल को उजागर किया है। वेदांता कोल साइडिंग कुनकुनी से वाहन क्रमांक सीजी 13 एएफ 6677 स्वामी मां भगवती ट्रांसपोर्ट खरसिया, सीजी 13 एएफ 9777 मालिक करन अग्रवाल खरसिया और सीजी 11 एएल 8500 मालिक आनंद मोदी बाराद्वार में कोयला लोड कर रूकमणी पावर प्लांट भेजा जा रहा था। इस साइडिंग में सबसे ज्यादा एसकेएस पावर प्लांट और आरकेएम पावरजेन के रैक लगते हैं। यहां कोयला डंप करने के बाद इन उद्योगों तक परिवहन किया जाता है। पुलिस ने तीनों गाडिय़ों से टीपी मांगी तो ड्राइवर प्रस्तुत नहीं कर पाए। बताया जा रहा है कि ड्राइवर गाड़ी छोड़कर भाग गए थे। जब मालिकों को कार्रवाई की खबर लगी तो उन्होंने मैन्युअल टीपी प्रस्तुत कर दिए जो संदिग्ध हैं। जिस कंपनी के लिए कोयले की रैक लगती है, उसके बिल के आधार पर ही टीपी जारी होती है। किसी दूसरी कंपनी के कोयले को कोई और नहीं ले जा सकता। कोयले का डेस्टिनेशन बदलना मतलब उसे अवैध रूप से बेचना ही है। खरसिया में पकड़े गए वाहनों में टीपी का ही खेल है। उसके अलावा सभी वाहनों में 6-8 टन कोयला ओवरलोड भी मिला है। फिलहाल पुलिस ने 102 के तहत कार्रवाई की है। टीपी, बिल आदि की जांच के लिए खनिज विभाग को प्रकरण की जानकारी दी गई है। सवाल यह है कि जो कोयला परिवहन किया जा रहा था, वह रुक्मणि पावर के लिए ही आया था या दूसरे प्लांट के लिए। मिली जानकारी के मुताबिक वेदांता साइडिंग और रुक्मणि पावर एक ही परिवार की हैं।
ई-परमिट था या नहीं: हाल ही में राज्य सरकार ने किसी भी खनिज के लिए टीपी जारी करने के पूर्व ई-परमिट लेने की व्यवस्था लागू की है। वेदांता साइडिंग से रुक्मणि पावर प्लांट तक कोयला परिवहन के लिए ई-परमिट लिया गया था या नहीं, इसकी पुष्टि भी नहीं हो सकी है। सरकार ने खनिज ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से टीपी जेनरेट करना अनिवार्य किया है लेकिन कोतरलिया साइडिंग और वेदांता साइडिंग में इसे लागू नहीं किया गया है। वेदांता में अभी भी मैन्युअल टीपी से काम किया जा रहा है। मैन्युअल टीपी में डेस्टिनेशन अपने हिसाब से बदला जा सकता है जबकि ऑनलाइन टीपी में यह गड़बड़ी नहीं की जा सकती।
खनिज विभाग का काम कर रही पुलिस: जिले में खनिज विभाग पूरी तरह लाचार हो चुका है। रेत के ट्रैक्टर पकडऩे में व्यस्त खनिज विभाग को कोयले की अफरा-तफरी नजर ही नहीं आती। जब भी खनिज विभाग की टीम कार्रवाई करने निकलती है, केवल रेत और गिट्टी की गाडिय़ों की ही जांच होती है। खनिज विभाग कोयले जैसे मुख्य खनिज की तस्करी को रोकने में नाकाम है। खनिज विभाग के अधिकारियों का काम पुलिस अफसर कर रहे हैं।