सुकमा। छत्तीसगढ़ का माओवाद प्रभावित संभाग बस्तर अब तेजी से बदल रहा है। जहां नक्सली दशहत के कारण सड़कों का निर्माण कार्य तो दूर बिजली तक नहीं पहुंची थी,वहां आज सड़के भी बन रही हैं और बिजली की रोशनी से गांव जगमग हो उठे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से सुकमा जिले के सुदूर वनांचल के नक्सल प्रभावित चार गांव बिजली की रौशनी से जगमग हो उठे हैं। इन पांच गांवों में रहने वाले 653 परिवारों के घर रौशन हो उठे हैं। यह पांच गांव सिलगेर, कोलईगुड़ा, कमारगुड़ा, नागलगुण्डा, और करीगुण्डम है, जो अब तक विद्युत सुविधा से वंचित था। इन गांवों में बिजली पहुंचने से ग्रामीण बेहद खुश है। उनका वर्षों का सपना पूरा हो गया है।
सरकारी योजनाओं का मिल रहा है लाभ : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विशेष निर्देशों के मुताबिक राज्य के सुदूर वनांचल के गांवों और घरों में बिजली पहुंचाने का काम बीते 4 वर्षों से प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार की बिजली बिल हाफ योजना, मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास योजना, मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना, मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना से विद्युत अधोसंरचना को नया आधार मिलने के साथ ही उपभोक्ताओं को बिजली बिल में छूट से राहत मिली है।
सुकमा के गांवों में देखा जा रहा है बदलाव : सुकमा जिले का कोलईगुड़ा, कमारगुड़ा, नागलगुण्डा, और करीगुण्डम गांव नक्सल प्रभावित रहा है, एक समय था, जब इन गांवों में पहुंचना मुश्किल था, जिसके कारण गांव और गांवों के लोग शासकीय योजनाओं और कार्यक्रमों के लाभ से भी वंचित थे। छत्तीसगढ़ सरकार की विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति के चलते पूरे बस्तर अंचल में बदलाव की बयार बहने लगी है। वहां के वातावरण और जनजीवन में सकारात्मक बदलाव दिखाई देने लगा है। विकास एवं निर्माण कार्यों में शासकीय मिशनरी के साथ-साथ आम जनता की भागीदारी बढ़ी है, जिसके चलते बस्तर का हर इलाका तेजी से विकास की मुख्य धारा से जुड़कर तरक्की की राह चल पड़ा है।
करीगुण्डम से लेकर सिलगेर तक फैली रोशनी : कार्यपालन अभियंता, सीएसपीडीसीएल सुकमा ने बताया कि मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना के तहत कोलईगुड़ा के 82 परिवारों, करीगुण्डम के 160, कमारगुड़ा के 120, नागलगुण्डा के 81 तथा सिलगेर के 210 घरों में विद्युत लाईन कनेक्शन किया गया है जिससे ग्रामीणों में उत्साह है। इन गांवों में पूर्व में नक्सल अवरोध के कारण विद्युत व्यवस्था किया जाना संभव हो नहीं पा रहा था, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में ग्रामीणों की सहभागिता से इन गांवों मेंं विद्युत सुविधा पहुंचाना संभव हुआ है।