भ्रष्टाचार का गढ़..रायगढ़ में एक और भ्रष्टाचार का नायाब नमूना: 8 करोड़ की लागत से बनी सड़क के बीचोंबीच एक साल में हो गया छेद

रायगढ़। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में गुणवत्तापूर्ण निर्माण एक सपना ही है। कोई भी सड़क हो, दो-चार साल में ही दम तोड़ देती है। अब तो एक ही साल में सड़कों की दुर्दशा सामने आ रही है। रायगढ़ से पुसौर तक आठ करोड़ की लागत से बनी सड़क के बीचोंबीच छेद हो गया है। महज एक साल में सड़क की ये सूरत निकल आई है। सड़कों के निर्माण में किस कदर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी व्याप्त है, इसका उदाहरण रायगढ़-पुसौर रोड है। जब सड़क का निर्माण हो रहा था, तभी क्वालिटी को लेकर सवाल उठे थे लेकिन सबको दबा दिया गया। सैम्पलिंग के लिए आई टीम को भी ऐसे जगहों पर सैम्पल दिए गए जहां डामर की परत मोटी थी। सड़क के नीचे भ्रष्टाचार की मोटी परत बिछाई गई थी, जो एक ही बारिश में बह गई। वर्ष 19-20 में रायगढ़ से गढ़उमरिया होकर पुसौर तक रोड का निर्माण हुआ है। 12 किमी लंबी रोड के लिए 8.80 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। हिलब्रो मेटलिक को इसका ठेका मिला था। 16 दिसंबर 2019 को रोड निर्माण पूरा भी बता दिया गया है। महज 12 किमी की रोड के लिए आठ करोड़ रुपए पर्याप्त से भी अधिक होते हैं। इस रोड को दूसरे पीएमजीएसवाय की सड़कों से ज्यादा मजबूत बनानी थी, इसीलिए इतनी बड़ी राशि मंजूर की गई थी। रोड पर नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम हैं जहां से चावल लोड ट्रक चलते हैं। इसलिए सड़क भी गुणवत्तापूर्ण व टिकाउ होनी थी। लेकिन इसका उल्टा हुआ है। औरदा के थोड़ा सा आगे पुलिया में बीचोंबीच सड़क में बड़ा छेद हो गया है। सुराख से देखने पर पता चलता है कि कितनी घटिया सामग्री का उपयोग किया गया है। बेस में जीएसबी मिक्सचर ठीक से सेट ही नहीं हुआ है। भुरभुरा मिक्सचर अभी भी नीचे गिर रहा है। नीचे केवल ह्यूम पाइप लगाकर काम चलाया गया है। भारी वाहन चलने वाले रोड में पुल व पुलिया का निर्माण भी उतना वजन झेलने लायक बनाया जाना था।

अब ऐसे चलेगा दोषियों को बचाने का खेल: सड़क के बीचोंबीच गड्ढा होने के कारण हादसा होने की गुंजाइश बढ़ गई है। अब धीरे-धीरे गड्ढे का आकार बढ़ता ही जा रहा है। ठेका कंपनी को पेमेंट किया जा चुका है। आपको बता दें कि इस सड़क का निर्माण प्रदेश के सबसे बड़े ठेकेदार व भाजपा नेता सुनील रामदास अग्रवाल ने किया था। ईई पीएमजीएसवाय अखिलेश तिवारी, एसडीओ एसएन देवांगन और सब इंजीनियर रजनी पटेल ने सड़क की गुणवत्ता से समझौता किया। अब कहा जा रहा है कि पांच साल तक ठेकेदार को मेंटेनेंस करना है लेकिन खराब रोड को मेंटेनेंस से का कवर कब तक बचा पाएगा।


ईमानदार अफसर छिपाने में हो गए सक्रिय: इस रोड में कई जगहों पर घटिया निर्माण नजर आ जाएगा। हर पुल के पास धंसने की शिकायत है। यही नहीं रोड के शोल्डर में ठीक से मिट्टी व मुरूम भराव कर रोलिंग नहीं की गई है। इसलिए रोड किनारे लगे सचेतक खंभे एक ही बारिश में बह गए हैं। कई जगहों पर सीमेंट के ये खंभे उखड़कर किनारे पड़े हुए हैं। शोल्डर की मिट्टी भी बह गई है। हैरत की बात यह है कि जांच कराने के बजाय विभाग इसे छिपाने में लगा है, क्योंकि कई अफसरों पर सवाल उठेंगे।

 

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