खेल डेस्क। पूर्व भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह को आम आदमी पार्टी ने पंजाब से राज्यसभा के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इसके साथ ही भज्जी के नाम से मशहूर भारतीय स्पिनर ने क्रिकेट के बाद अब राजनीति में कदम रख दिया है। हालांकि हरभजन कोई पहले क्रिकेटर नहीं हैं जिन्होंने क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उनसे पहले सात और क्रिकेटर ऐसे रहे हैं जिन्होंने इसमें अपनी किस्मत आजमाई। इनमें कुछ जीतकर मंत्री बने तो कुछ को निराशा हाथ लगी।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और विश्व कप विजेता खिलाड़ी गौतम गंभीर ने क्रिकेट से संन्यास के बाद राजनीति में कदम रखा. उन्होंने 2019 में भारतीय जनता पार्टी की दामन थामा और पूर्वी दिल्ली से सांसद बने।
भारत के पूर्व कप्तान और स्टार क्रिकेटर मोहम्मद अजहरूद्दीन 2009 में राजनीति में उतरे और कांग्रेस पार्टी का हाथ पकड़ा। भारत के सफल कप्तानों में से एक अजहरूद्दीन ने लोकसभा चुनाव लड़ा और मोरादाबाद से सांसद बने।
भारत के चर्चित क्रिकेटरों में से एक नवजोत सिंह सिद्धू ने क्रिकेट के साथ-साथ राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने 2004 में राजनीति में कदम रखा और बीजेपी से जुड़े। उन्होंने दो बार लोकसभा चुनाव जीता। सिद्धू ने 2017 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की और फिर अमृतसर से चुनाव लड़े और जीते। हालांकि उन्हें इस बार के पंजाब चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी ने क्रिकेट से संन्यास लेने का अभी तक कोई एलान नहीं किया है लेकिन अब वह राजनीतिक पारी शुरू कर चुके हैं। 36 वर्षीय मनोज 2021 में तृणमूल कांग्रेस से जुड़े और हावड़ा के सिबपूर से बंगाल विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य का खेल मंत्री बनाया।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और विश्व कप विजेता खिलाड़ी कीर्ति आजाद भी राजनीति में अपनी छाप छोड़ चुके हैं। वह यहां बीजेपी से जुड़े और दिल्ली के गोल मार्केट विधानसभा से विधायक बने। इसके बाद उन्होंने 2014 में दरभंगा से सांसदी का चुनाव लड़ा और जीते।
पूर्व भारतीय कप्तान और महान क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी ने भी राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई लेकिन उन्हें यहां निराशा हाथ लगी। उन्होंने दो बार कांग्रेस के टिकट पर अलग-अलग जगहों से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन दोनों जगह से हारे।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और मौजूदा कमेंटेटर मोहम्मद कैफ ने क्रिकेट के मैदान पर अपनी बल्लेबाजी और शानदार फील्डिंग से सभी का दिल जीता लेकिन उन्हें राजनीति के मैदान पर निराशा हाथ लगी। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 2014 में इलाहाबाद के फुलपूर से चुनाव लड़ा और हारे।