बिजली के सरप्लस राज्य में रायगढ़ के ईमानदार अफसर जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर गोहड़ीडीपा तक नहीं पहुंचा पा रहे बिजली

रायपुर। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार यूं तो देश के हर गांव में बिजली पहुंचाने का दावा करती है और प्रदेश की कांग्रेस सरकार छग को बिजली का सरप्लस राज्य होने का डींगे हांकती है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत उलट है। प्रदेश में कुछ गांव, मझरे, गली, मोहल्ले अभी भी बिजली को तरस रहे हैं। दूर दराज ग्रामीण अंचल तो छोड़िए शहर से लगे मोहल्ले व बस्तियों में आज भी ढेर सारे ऐसे लोग भी हैं जो इस इंतजार में बैठे हैं कि विद्युत विभाग उनके मोहल्ले तक बिजली पहुंचाएगा। छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले के पुसौर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम कोंडातराई के डीपापारा गोहड़ीडीपा भी एक ऐसी ही बस्ती है। जहां 25 परिवारों के करीब डेढ़ दो सौ लोगों को बिजली की दरकार है। खास बात यह है कि यह रायगढ़ जिला मुख्यालय से महज 7 किमी दूर है। बावजूद इसके रायगढ़ बिजली विभाग के ईमानदार अफसर इस बस्ती में बिजली नहीं पहुंचा पा रहे हैं। गोहड़ीडीपा बस्ती के लोग बिजली विभाग और पंचायत का चक्कर पिछले कई साल से लगा रहे हैं, पर बस्ती अब तक बिजली से उनका मोहल्ला रौशन नहीं हुआ है। मोहल्लेवासियों ने बताया कि गोहड़ीडीपा में 24 से ज्यादा परिवार बीते पांच साल से अंधेरे में जीवन यापन कर रहे हैं। इन्हें पीएम आवास के तहत पक्का मकान तो मिल गया, लेकिन बिजली नहीं मिली। ग्रामीण कई बार बिजली विभाग व कलेक्टर दरबार तक पहुंचे, लेकिन उन्होंने आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। बिजली विभाग के अफसरों का दावा है कि विद्युत पोल लगाने के लिए ग्राम पंचायत से अभिमत मांगा गया था, लेकिन ग्राम पंचायत की ओर से कोई रिस्पांंस नहीं दिया गया था। इसके कारण गांव में बिजली नहीं पहुंच पाई थी, लेकिन कुछ दिन पहले ही सर्वे कर लिया गया है। एक से डेढ़ महीने के अंदर गांव में बिजली पहुंचाया जाएगा।

लालटेन व चिमनी की रोशनी में बिता रहे जीवन: यहां रहने वाले अधिकांश परिवार मजदूरी कर अपना जीवन यापन करता है। कुछ परिवारों के बच्चे पढ़ लिखकर नौकरी भी कर रहे हैं। बिजली विभाग के रिकार्ड में बिजली पहुंचा दी गई है लेकिन गोहड़ीडीपा को नजरअंदाज कर दिया गया है। इस मोहल्ले के लोग अभी भी लालटेन युग में जी रहे हैं। दिन में परिवार के सदस्य बिना बिजली गर्मी और रात में दीपक, चिमनी और लालटेन की रोशनी में जीवन बिता रहा है।

मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे: पांच साल पहले उन्हें बीपीएल परिवारों को नजूल भूमि पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जमीन और उसपर मकान बनाकर दिए गए। आवास विहीन परिवार इन मकानों में शिफ्ट भी हो गए, लेकिन बिजली, सडक़ जैसी मूलभूत सुविधाएं उन्हें नहीं मिली। यहां तक की इस मोहल्ले में पीने की पानी के लिए कोई साधन नहीं है। ग्रामीणों को मुख्य बस्ती पटेलपाली की दौड़ लगानी पड़ती है।

चाय नाश्ता के लिए ले जाते हैं पैसा: कुछ दिन पहले ही गोहड़ीडीपा के बाशिंदे अपनी समस्याओं को लेकर बिजली विभाग पहुंचे थे। इसके बाद कुछ लोग बस्ती में सर्वे करने के नाम पर पहुंचे। बस्ती के गौरी थापा ने बताया कि एक नहीं, बल्कि दो से तीन दफा आए और गए। इस दौरान उनसे व अन्य महिलाओं से चाय नाश्ता के नाम पर 5 सौ से 7 सौ रुपए ले लिए।

वर्सन….
एक निजी जमीन की वजह से मामले में पेंच फंसा था, लेिकन उसे दूर कर लिया गया है। हमने सर्वे कर आवेदन लिया है। एक से डेढ़ महीने के अंदर कनेक्शन दे दिया जाएगा।
गुंजन शर्मा, ईई सीएसईबी रायगढ़।

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