सुखदेव दीवान, सरिया। छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक के ग्राम पुजारीपाली में एक छठीं शताब्दी का मंदिर है। रविवार सुबह एक किसान अपने जमीन में खोदाई कर रहा था। इसी दौरान जमीन से एक संदूक जैसी आकार का पत्थर मिला। मंदिर के पास खेत में पुरातत्व सामग्री मिलने की खबर मिलते ही पुजारीपाली समेत आसपास गांव के लोगों की भीड़ पुरातत्व सामग्री को देखने के लिए उमड़ पड़ी। हालांकि पुजारीपाली में इस तरह की सामग्री मिलना नई बात नहीं है। फिलहाल प्यारी पटेल के खेत से मिले पुरातत्व पत्थर को मंदिर में सुरक्षित रखवाया गया है। पुजारीपाली स्थित मंदिर के आसपास बड़ी संख्या में छठीं शताब्दियों की खंडित मूर्तियां पड़ी हैं। कुछ महत्वपूर्ण खंडित प्रतिमाओं को नटवर स्कूल स्थित म्यूजियम में रखा गया है। मंदिर को लेकर कई तरह की किवंदतियां फैली हैं। जानकारों की मानें तो जब मौर्य वंश का शासन भारत से लेकर अफगानिस्तान तक फैला था। उस शासनकाल में जगह-जगह शिव मंदिर बनाए गए थे और मंदिर में चढ़ावे के तौर पर आने वाली चीजों को राजस्व के तौर पर इस्तेमाल करते हुए इसे खजाने में जमा कराया जाता था। इसे लेकर दूसरी किवंदती भी है कि इस मंदिर को एक ही रात में निर्माण कराया गया था। निर्माण के दौरान अल सुबह एक केंवट महिला द्वारा ढेकी में चावल कूटने की आवाज के बाद सुबह का आभास हुआ और मंदिर निर्माण रोक दिया गया, इसके बाद से मंदिर आज भी उसी अवस्था में है। मंदिर छठीं शताब्दी की अनेकों खंडित देवी देवताओं की प्रतिमाएं देखने को मिलती है। पुजारीपाली मंदिर के पुरातन महत्व को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
मंदिर व आसपास के संरक्षण की जरूरत: मंदिर के आसपास के खेतों में जुताई के दौरान पूर्व में भी कई किसानों को कई चीजें प्राप्त हुई हैं। जिसमें कांसे का लोटा, खंडित मूर्तियां, सोने के टुकड़े कई किसानों को मिल चुके हैं। रविवार को संदूक जैसे आकार का पत्थर मिलने से एक बार फिर से मंदिर की पुरातात्वविक महत्व को लेकर चर्चा छिड़ गई है और मंदिर सहित आसपास के क्षेत्र के संरक्षण को लेकर बातें सामने आ रही हैं। शासन प्रशासन द्वारा मंदिर की संरक्षण को लेकर कोई कार्य नहीं किया जा रहा है।