रायपुर। नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) भवन के सामने चल रहे किसानों का आंदोलन भड़कता जा रहा है। शुक्रवार को बवाल हो गया। वहीं एक किसान की मौत भी हो गई। किसान अपनी मांगों को लेकर मंत्रालय जाने निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक दिया। पैदल मार्च के बाद किसान सड़क पर बेहोश होकर गिर गया और उसके मुंह से झाग निकलने लगा। उसे पास के अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। मृतक किसान का नाम सिया राम पटेल (68 साल) बताया जा रहा। शुक्रवार को प्रभावित 27 गांवों के हजारों किसान मंत्रालय जाने के लिए निकले तो पुलिस ने रोक लिया। किसान और महिलाएं सड़कों पर बैठ गए। इसी दौरान एक किसान सियाराम पटेल पिता रामदयाल पटेल की तबीयत बिगड़ गई। वह बेहोश गिर गया। उसे अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। समिति के अध्यक्ष रुपन चंद्राकर ने कहा कि किसान की मौत के लिए प्रशासन जिम्मेदार है।
प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी ये दलील : रायपुर जिला प्रशासन ने किसान की मौत को लेकर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है जिसमें बताया गया है कि नवा रायपुर में किसान आंदोलन स्थल पर आज किसान सियाराम मूर्छित होकर गिर गए और प्रशासन द्वारा अस्पताल पहुँचाने पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति के द्वारा बुलाये गये धरना प्रदर्शन एवं अपनी मांगों के संदर्भ में आवेदन जमा कराने हेतु आंदोलनकारी उपस्थित हुए। आंदोलनकारियों से एक दिवस पूर्व चर्चा कर उन्हें पूर्व निर्धारित स्थल पर बैरीकेडिंग लगाकर रोका गया एवं पूर्व सहमति अनुसार ग्रामवार काउंटर लगाकर आवेदनों की प्राप्ति की गई। आंदोलनकारियों की सहमति अनुसार आवेदन प्राप्ति हेतु पृथक-पृथक गांववार काउंटर सुबह 11 बजे से लगा दिये गये थे। उपरोक्त घटनाक्रम में ग्राम बरौदा के 68 वर्षीय व्यक्ति सियाराम पटेल आवेदन जमा करने के स्थल के समीप मूर्छित होकर गिर गये। उन्हें तत्काल पुलिस/स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा शासकीय एम्बुलेंस में स्वास्थ्य कर्मियों सहित निकटतम बालको अस्पताल ले जाया गया।बालको अस्पताल के आपातकालीन विभाग के डॉक्टरों द्वारा जांच उपरांत उन्हें मृत घोषितकिया गया। जारी विज्ञप्ति में यह बताया गया है कि जानकारी प्राप्त होने पर उनके पुत्र हीरालाल पटेल बालको अस्पताल पहुंचे।तत्पश्चात् मृतक के शरीर को पोस्टमार्टम हेतु परिजनों के साथ मेकाहारा अस्पताल भेजा गया। उनके पुत्र हीरालाल पटेल से प्राप्त जानकारी अनुसार उनके पिता विगत 1-2 वर्षों से उच्च रक्तचाप के मरीज थे एवं उसकी दवाई ले रहे थे।
किसानों के आंदोलन से सरकार की बढ़ी चिंता : बता दें कि इससे पहले 3 मार्च को किसानों ने मंत्रालय कूच किया था। उस दौरान भी पुलिस ने उन्हें रोका था। किसानों ने मांग पत्र सौंपा था, जिस पर क्या कार्रवाई हुई यह जानने किसान फिर मंत्रालय जाने निकले हैं। प्रशासन ने मंत्रालय जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया गया है। एक दिन पहले किसानों के साथ प्रशासनिक अफसरों की बैठक भी हुई थी, लेकिन किसानों ने कह दिया कि मुख्य सचिव से मिलने दिया जाए और हमें अपनी मांगों के संदर्भ में चर्चा करने दिया जाए। किसानों के आंदोलन ने प्रशासनिक अफसरों व सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। एक दिन पहले ही रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार ने मंत्रालय और आसपास के 100 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर दिया है।
इन बिंदुओं पर किसानों की सरकार से असहमति
- सन 2005 से जमीन के क्रय-विक्रय पर लगा प्रतिबंध सभी गांवों से हटाने की मांग थी। सरकार लेयर 2 व 3 के 13 गांवों का प्रतिबंध हटाया गया। लेयर 1 के 14 गावों में आज भी प्रतिबंध लागू रखा गया।
- नवा रायपुर में पंचायत आज भी संचालित है, इसे गलत तरीके से नगरीय क्षेत्र घोषित किया गया है, उसे शून्य घोषित नहीं किया गया है।
- पूरी ग्रामीण बसाहट का पट्टा मांगा जा रहा है, सरकार ने केवल 1200 से 2500 वर्गफीट तक का पट्टा स्वीकृत करने की बात कही है।
- सरकार 2012 में 18 साल के रहे विवाहित व्यक्तियों को ही 1200 वर्गफीट का पट्टा देने की बात की है। जबकि किसान संगठन 2022 की गणना पर 18 साल के प्रत्येक वयस्क को विवाहित हो या न हो 1200 वर्ग फीट विकसित भूखण्ड देने की मांग की है।