रायपुर। ये तस्वीर कमल किशोर पटेल की है, जो छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले के सारंगढ़ थाना में बतौर सब इंस्पेक्टर पदस्थ हैं। जानकारी के मुताबिक यहां पदस्थ थानेदार जीएस दुबे, कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। इसलिए एसआई केके पटेल को थाने का प्रभार सौंपा गया था। थाने का चार्ज मिलते ही इनके “पर” निकल आए और छत्तीसगढ़ सरकार के ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ के मायने ही बदल डाली और ‘लूटबो छत्तीसगढ़ बना डाला’, वैसे तो इनके कंधों पर कानून व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी थी, लेकिन कानून का ही भय दिखाकर अवैध वसूली करने लगे। ये आरोप राजधानी टाइम्स छत्तीसगढ़ की ओर से नहीं लगाए जा रहे। इनके खिलाफ सारंगढ़ थाना अंंतर्गत ग्राम हिर्री में संचालित वारे क्लीनिक के संंचालक डॉ. खगेश्वर प्रसाद वारे ने लगाए हैं। उन्होंने इसकी लिखित शिकायत सारंगढ़ एसडीओपी से की है। मीडिया में मामला सामने आते ही रायगढ़ पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह ने सब इंस्पेक्टर कमल किशोर पटेल को लाइन अटैच कर दिया है। वहीं इस पूरे मामले की छानबीन के लिए एसपी ने आईयूसीएडब्ल्यू में पदस्थ डीएसपी गरिमा द्विवेदी को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
तहसीलदार व बीएमओ पर भी लगे हैं आरोप: वारे क्लीनिक के संचालक ने सारंगढ़ के तहसीलदार व बीएमओ पर भी यह गंभीर आरोप लगाए है। सारंगढ़ एसडीओपी से किए गए लिखित शिकायत में यह उल्लेख है कि 7 मई को सारंगढ़ में कुछ जगहों पर ब्लॉक स्तरीय नर्सिग होम मॉनिटरिंग टीम ने छापामार कार्यवाही की। जिसमें दो अवैध नर्सिंग होम को सील किया। वहीं हिर्री में संचालित वारे क्लीनिक में भी यह टीम पहुंची। इस क्लिनिक के संचालक डॉ. केपी वारे का आरोप है कि टीम में शामिल तहसीलदार सुनील अग्रवाल, प्रभारी थानेदार सारंगढ़ केके पटेल और बीएमओ डाॅ आरएल सिदार अवैध नर्सिंग होम संचालित करने का आरोप लगाते हुए जेल भेजने की धमकी दी। आरोप है कि तीनों अधिकारियों ने इस कदर डराया धमकाया कि वे कांपने लगे। इस बीच तहसीलदार सुनील अग्रवाल ने पांच लाख रुपए देने पर मामला रफादफा करने की बात कही। जब इतनी बड़ी रकम देने में असर्मथता जाहिर की तो प्रभारी टीआई ने 3 लाख रुपए आधे घंटे में व्यवस्था करने अथवा जेल भेजने की धमकी दी। जिससे घबराकर अपने रिश्तेदारों से किसी तरह 3 लाख रुपए की व्यवस्था किया उन्हें दिय। इस बीच पंचानामा बना रहे बीएमओ ने पंचनामा रिपोर्ट ही कैंसिल कर दी।