बरमकेला। छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के अंतर्गत बरमकेला जनपद पंचायत क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन फ सल के लिए धान की बहुतायत खेती की वर्षों ली जा रही है। ऐसे में कृषि विभाग बरमकेला द्वारा फ सल चक्र परिवर्तन कराने में जुटी हुई है और किसानों को सरसों मटर चना गेहूं वह सूर्यमूखी लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जबकि इनके बीजों के लिए किसान भटक रहे हैं। इस बार सहकारी समिति लोधिया के मुख्यालय गोबरसिन्हा को सरसों के लिए चुना गया है। इसके लिए क्षेत्र के किसानों को सरसों की फ सल लगाने का प्रोत्साहन देने के लिए सरसों बीज भी उपलब्ध कराई गई थी। अब 20 – 25 दिनों के बाद सरसों के पौधे बनने शुरू हो गए हैं। वही जिन किसानों ने डेढ़ माह पहले स्वयं की सरसों बीज की बोनी की थी उनके खेतों में सरसों की पीले फू ल निकलने लगी है। कृषि विभाग की दावे की हवा हवाई हो रही है। विकासखंड बरमकेला को रबी सीजन में धान फ सल के लिए जाना जाता है। लेकिन लगातार भूजल स्तर के गिरावट के चलते धान फ सल के उत्पादन पर फर्क पड़ा है और किसान की दूसरे विकल्पों की तलाश में हैं । ऐसे में दलहन तिलहन की ओर रुझान बढऩे की बात कही जा रही है लेकिन कृषि विभाग द्वारा दलहन तिलहन की फ सल के बीजों को उपलब्ध कराने में विफ ल है। अब तक केवल सरसों बीज उपलब्ध कराई गई है। जबकि गेहूं व मूंगफ ली के बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने में विफल रहीं। इसमें मूंगफ ली बीज अब तक किसानों के पास पहुंचा ही नहीं है ।फिलहाल सहकारी समिति के मुख्यालय के 15 गांव को फसल चक्र परिवर्तन के लिए सरसों की फ सल लगाने को तैयार किया गया है। इसके लिए सहकारी समिति के गोदाम में एक क्विंटल सरसों बीज उपलब्ध कराई गई थी जो मध्यम श्रेणी के बीज कहीं जा रही है। जिसकी प्रति किलोग्राम 70 था। फि लहाल किसानों ने सरकारी सरसों बीज को खेतों में बोनी किए थे वे पौधे बनकर निकल चुके हैं। वहीं जिन किसानों ने देसी सरसों की बीज बुवाई की थी उनके खेतों में पीले- पीले फुल लहलहाने लगी है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि कृषि विभाग की सरसों की बीज किसानों को कितना फ ायदेमंद रहा या नुकसानदायक।
रुझान बढ़ा पर बीज देने में रुचि नहीं : खाद्य तेलों में लगातार बढ़ती कीमतों के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में सरसों व मूंगफ ली की फ सल के प्रति किसानों का रुझान बढ़ चला है। लेकिन शासन की बीज विकास निगम व कृषि विभाग के आला अधिकारियों द्वारा ए सी वाले कमरों में बैठकर योजनाओं को क्रियान्वित करने में लगे हुए हैं।
खुद व्यवस्था करके रहे हैं उत्पादन : पिछले साल साल्हेओना के किसान करुणासागर पटेल, लालसाय पटेल, नरसिंह चौधरी, संतोष पटेल आदि ने कृषि दुकानों से या फि र देसी सरसों बीज खुद खरीदी कर बोआई किए थे। इसी तरह पुरैना, गिरहुलपाली, खपरापाली, जामछापर, गौरडीह, रंगाडीह सहित अन्य गांवों में सरसों की बंपर पैदावार की गई थी। इस बार भी इन गांवों में अपने ढंग से किसानों ने बीज की व्यवस्था कर बोनी की है। कृषि विभाग का मैदानी अमला किसानों से दूरी बना ली है।
क्या कहते हैं एसएडीओ : गेंहू बीज की समस्या नहीं है । यदि कहीं से मांग आता है तो बीज उपलब्ध करा दिया जाएगा। अभी कण्ठीपाली उप सहकारी समिति के गोदाम में है। जबकि मूंगफ ली बीज आने का समय बचा है। 15 जनवरी तक सप्लाई हो सकता है। चूंकि मूंगफ ली के बीज गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक जैसे राज्यों से आते हैं। इसकी बीज की आपूर्ति करने की कोशिश में लगे हुए है उच्च अधिकारीगण।
बसंत नायक, एसएडीओ कृषि विभाग , बरमकेला.