बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में डीएमएफ में भ्रष्टाचार को लेकर प्रशासन के खिलाफ भूख हड़ताल के दरम्यान दो दिनों की रिमांड पर जेल गए युवा आयोग के पूर्व सदस्य अजय ने जेल से बाहर आते ही प्रशासन की कार्रवाई को न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है। उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि वे अपने कानूनी सलाहकारों से सलाह ले रहे हैं। इसके बाद जिन बिंदुओं को आधार बनाकर उन्हें जेल भेजा गया, उसके खिलाफ वे हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे। लोहा डोंगरी में पत्रवार्ता में अजय ने बीजापुर कलेक्टर राजेन्द्र कटारा की कार्यशैली पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कलेक्टर ने कलेक्टरी की गरिमा को तार-तार कर दिया है। अपने कर्तव्य को पूरा करने की बजाए अपनी गरिमा को विधायक के पास गिरवी रख चुके हैं। अब तो मुख्यमंत्री को उन्हें कलेक्टरी के साथ साथ विधायक के निज सहायक का अतिरिक्त प्रभार भी उन्हें सौंप दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डीएमएफ का पैसा जनता का पैसा है, फि र भी विधायक-कलेक्टर भ्रष्टाचार से बाज नहीं आ रहे हैं और चेहतों को काम बांटकर राशि का बंदरबांट किया जा रहा है। उनकी मांग है कि डीएमएफ के तहत प्रदत्त मद, स्वीकृत कार्य, पूर्ण कार्य इत्यादि की जानकारी सार्वजनिक होने चाहिए, लेकिन विधायक-प्रशासन यह कभी नहीं चाहेंगे, क्योंकि उनका भ्रष्टाचार का पुलिंदा खुलकर सामने आ जाएगी। अजय के मुताबिक उन्हें अंदेशा है कि प्रशासन उन पर षड्यंत्र पूर्वक आगे भी कारवाई कर सकती है वे उसके लिए भी तैयार है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जंग आगे भी जारी रहेगी। वहीं कलेक्टर राजेंद्र कटारा से इस संबंध में चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि अजय सिंह ठेकेदार हैं उनके कई कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाए हैं। बगैर अनुमति कार्यालय के सामने सड़क पर बैठना गैर कानूनी है। इसलिए उन पर कार्रवाई हुई है।