बरमकेला। छत्तीसगढ़ रायगढ़ जिले के बरमकेला के सुदूर गांवों की स्कूल भवनों की स्थिति ठीक नहीं है.कई सालों से जर्जर होने के बाद भी उसी भवन में कक्षाएं संचालित हो रही है लेकिन शासन प्रशासन के जिम्मेदार इन भवनों को झांकने तक नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसी जर्जरावस्था भवन में ग्रामीण नौनिहालों की भविष्य गढ़ी जा रही है. अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तहत बरमकेला के सरकारी प्रायमरी स्कूलों के भवन के लिए 50 – 50 हजार रुपए स्वीकृति मिली थी. ऐसे में जंगल से घिरे ग्राम कुधरगढ़ी स्कूल भवन को भी शामिल कर भवन के केवल खप्परेल छत को हटाकर उसके स्थान पर सीमेंट की ढलाई कर दी गई. उसके बाद से अब तक उसी भवन के कमजोर दीवारों व सीपेज वाले सीमेंट छत पर स्कूली बच्चों का अध्ययन- अध्यापन कार्य चल रहा है. 26 बर्ष तक इस भवन की स्थिति कैसी हो सकती है सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. भवन के दीवारों में जगह जगह दरारें उभर आए हैं और बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है. कमजोर पड़ चुके भवन के चलते विद्युत वायरिंग भी प्रभावित हो गये है. हालांकि भवन को दो तीन बार शाला अनुदान मद की मामूली राशि से नाम मात्र की मरम्मत की गई है. इससे भवन की जर्जरपन दूर नहीं हो पा रही है.
सरकारी मदद की दरकार : हैरानी की बात है कि शिक्षा विभाग की सूची में इस स्कूल की भवन को आंशिक जर्जर की सूची में रखा गया है. जबकि दस वर्ष बाद सरकारी भवनों को जर्जर के श्रेणी में रखा जाता है. परंतु बरमकेला शिक्षा विभाग में ऐसा नहीं है.ऐसे में नये भवन बनाने के लिए स्वीकृति मिलने में दिक्कत हो रही है. ग्रामीण व शिक्षक बताते है कि छोटे मोटे मरम्मत को पंचायत प्रतिनिधि करा देते है. बड़े खर्च के लिए सरकार की मदद की आवश्यकता पड़ रही है लेकिन राज्य निर्माण के इतने बर्षो के बाद भी दूरदराज के स्कूल भवन बदहाली के आंसू बहा रहे हैं.
घट चुकी है दुर्घटना : कुधरगढ़ी स्कूल के भवन में दो जर्जर कमरा व एक आफिस रुम बने हैं. मौजूदा बच्चों की दर्ज संख्या 25 है. दो वर्ष पूर्व आफिस रुम में लगे पंखा स्वत: ही नीचे गिर गया था. गनीमत रहा कि वहां पर कोई मौजूद नहीं था अन्यथा बड़ा हादसा होता.
“स्कूल भवन के बने 26 साल हो गये है. भवन की स्थिति काफी खराब है. कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
कन्हैया कोडाकू, अध्यक्ष शाला प्रबंधन समिति, कुधरगढ़ी
” शाला अनुदान मद की राशि से भवन के कुछेक जगहों की मरम्मत कराकर कक्षाएं लगा रहे है. पानी टपकने की स्थिति में बैठने बडी़ दिक्कत होती है. इधर उधर कर बैठाने की मजबूरी है.
रोहित सिदार, प्रभारी एच एम प्रायमरी स्कूल, कुधरगढ़ी