जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जगदलपुर मध्य भारत के जैव विविधता का एक अनोखा खजाना है। कांगेर घाटी अपने प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता, रोमांचक गुफाओं के लिए देश-विदेश में विख्यात है। यहां भारत के पश्चिमी घाट एवं पूर्वीय हिमालय में पाए जाने वाले पक्षियों को भी देखा गया है। देश के विभिन्न परिदृश्यों में पाए जाने वाले पक्षियों का कांगेर घाटी से संबंध एवं उनके रहवास को समझने का प्रयास समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा किया गया है। इसी कड़ी में एक प्रयास कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा बर्ड कॉउंड इंडिया एवं बर्ड्स एंड वाइल्ड लाइफ ऑफ छत्तीसगढ़ के सहयोग से पक्षी सर्वेक्षण का आयोजन किया जा रहा है।
3 दिनों तक चलेगा सर्वेक्षण : पहली बार कांगेर घाटी पक्षी सर्वेक्षण का आयोजन 25 नवंबर से 27 नवंबर 2022 तक किया जा रहा है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान निदेशक धम्मशील गणविर ने बताया कि इस पक्षी सर्वेक्षण में देश के 11 राज्यों के 56 पक्षी विशेषज्ञों का चयन किया गया है। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान से प्रतिभागी इस पक्षी सर्वेक्षण में शामिल होंगे। 3 दिन तक ये कांगेर घाटी के अलग-अलग पक्षी रहवासों का निरीक्षण कर यहां पाई जाने वाली पक्षियों का सर्वेक्षण करेंगे। इस सर्वेक्षण से राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन में सहायता होगी तथा ईको-टूरिज्म में बर्ड वॉचिंग के नए आयाम सम्मिलित होंगे।
पहाड़ी मैना का घर है यह जंगल : कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान पहाड़ी मैना का घर है। यह छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी है। यह आदमी की आवाज का नकल कर लेती है। इस जंगल में प्रवासी और निवासी दोनों तरह के पक्षी बहुतायत में पाये जाते हैं। पहाडी मैना के साथ भृगराज, उल्लू, वनमुर्गी, जंगल मुर्गा, क्रेस्टेड, सरपेंट इगल, श्यामा रैकेट टेल, ड्रांगो जैसे पक्षी सामान्य रूप से पाये जाते हैं। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक मिश्रित नम पर्णपाती प्रकार के वनों का एक विशेष क्षेत्र है। इसमें साल, सागौन, टीक और बांस के पेड़ बहुतायत में हैं।