Friday, November 22, 2024
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छग की आबोहवा प्रदेश के आईएएस अफसरों को नहीं कर रहा शूट, राज्य की मटियामेट करने में लगे अफसर, सीनियर IAS बोले- ये किस ‘सड़क छाप’ कवि की रचना से नया विवाद! 

रायपुर। लगता है इन दिनों छत्तीसगढ़ की आबोहवा प्रदेश के आईएएस अफसरों को शूट नहीं कर रहा है। इसलिए झुंझलाहट और बौखलाहट में नए-नए कांड कर देश में प्रदेश की मटियामेट करने में लगे हुए हैं। कोई बिना तैयारी पीएम के साथ वीसी में जुड़ रहा है तो कोई सरेराह पिटाई कर देता है तो कोई विवादास्पद ट्वीट। आईएएस अफसरों की इन कारनामों की वजह से इन दिनों देश में छत्तीसगढ़ खूब सुर्खियां बटोर रहा है। एक के बाद एक सिलसिलेवार तरीके से नए-नए कारनामे से प्रदेश की खूब चर्चा है। जांजगीर कलेक्टर द्वारा पीएम को गांवों की संख्या नहीं बता पाने वाला मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि सूरजपुर कलेक्टर ने सरेराह युवक को थप्पड़ जड़ कर नया विवाद को जन्म दे दिया, लेकिन इन विवादों के बीच एक सीनियर आईएएस के एक विवादास्पद ट्वीट से विवाद काफी बढ़ गया है। विवाद की वजह एक कविता है और विवादास्पद ट्वीट करने वाले छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस और तकनीकी शिक्षा संचालक अवनीश शरण हैं। एनसीईआरटी की कक्षा 1 के सिलेबस में एक कविता है, शीर्षक है ‘आम की टोकरी’। इस कविता को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल हो रहा है, लोग इसे सिलेबस से हटाने की मांग कर रहे हैं। कविता की जमकर आलोचना की जा रही है। कई लोगों ने सवाल उठाया है कि इस तरह की भाषा वाली कविता बच्चों को कैसे पढ़ाई जा रही है। विरोध करने वालों में IAS अधिकारी अवनीश शरण भी शामिल हैं। उन्होंने कविता को शेयर करते हुए लिखा, ये किस ‘सड़क छाप’ कवि की रचना है ? कृपया इस पाठ को पाठ्यपुस्तक से बाहर करें। ट्वीट के साथ ही उन्होंने कविता का स्क्रीनशॉट भी साझा किया है। इसके बाद से इसे लेकर सोशल मीडिया में बहस शुरू हो गई है। उनके इस ट्वीट पर लोगों के कमेंट्स की बाढ़ आ गई है, लोग जमकर रिएक्शन दे रहे हैं। आईएएस की इस ट्वीट पर कई लोगों ने लिखा है कि यह कविता बाल श्रम को बढ़ावा देने वाली है। लड़की के लिए जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल इसमें हुआ है, वह भी बच्चों के साहित्य के अनुकूल नहीं है। वहीं कुछ लोग इसके पक्ष में भी आ गए हैं। उनका कहना है कि छोकरी शब्द का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में सामान्य अर्थों में किया जाता है, इसलिए इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। बता दें कि छत्तीसगढ़ के गांवों में भी  छोकरी शब्द का प्रचलन ज्यादा है।

 

2006 से सिलेबस का हिस्सा: मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह कविता उत्तराखंड के कवि रामकृष्ण शर्मा खद्दर ने लिखा है। वे बच्चों का साहित्य लिखते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह कविता 2006 से एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक का हिस्सा बनी हुई है। यह कविता कक्षा पहली के बच्चे 2006 से लगातार पढ़ रहे हैं। ट्विटर पर सबसे पहले इस कविता पर छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अवनीश शरण ने ही आपत्ति जताई और उसके बाद विवाद काफी बढ़ गया।

 

समर्थन में भी कुछ लोग: ट्विटर पर जहां एक तबका कविता के शब्दों पर ऐतराज जता रहा था, वहीं कुछ यूजर ऐसे भी थे जिन्हें यह कविता मासूमियत से भरी हुई नजर आ रही थी। एक ने कविता का समर्थन करते हुए लिखा, ‘कविता की हर लाइन सही है. अपने गंदे विचारों को कविता में मत उतारिए.’ आप जैसा सोचते हैं वैसा ही आपको नजर आता है। एक यूजर ने यहां तक लिखा कि- कविता तो एकदम सही है] आईएएस सर आपकी भाषा के शब्द ‘ सड़कछाप’ कविता से भी बदतर है। आपको ऐसे शब्द शोभा नहीं देते। कविता मासूमियत से भरी है अब किसी की सोच में सी गंदगी होतो क्या कह सकते है। सचिन नामक एक यूजर ने लिखा- कवि के विषय में जाने बगैर शब्दों का चयन कर रहे हैं, IAS जी। ऐसे शब्दों का इस्तेमाल अपने superior के साथ कीजिएगा। आपको परिणाम जल्द मिल जाएंगे। ऐसे कई ट्वीट है जो आईएएस को नसीहत देने के साथ ही कविता के पक्ष में है।

 

जिस पर विवाद, यह है कविता

छह साल की छोकरी

भरकर लाई टोकरी

टोकरी में आम हैं

नहीं बताती दाम है

दिखा-दिखाकर टोकरी

हमें बुलाती छोकरी

हमको देती आम है

नहीं बुलाती नाम है

नाम नहीं अब पूछना

हमें आम है चूसना

आईएएस का ट्वीट