Friday, November 8, 2024
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केसीसी को लेकर सरकार के नियमों का पालन नहीं कर रहे ग्रामीण बैंक प्रबंधक, किसानों के इस तरह डूब रहे हजारों!

बरमकेला। केसीसी यानि किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए किसानों को उनकी जमीन की एक निश्चित सीमा के अंतर्गत बैंक से बहुत ही कम ब्याज दर पर लोन दिया जाता है। किसानों को बैंक से लोन लेने के लिए उनके पास केसीसी कार्ड होना चाहिए। अब तो किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए सरकार भी किसानों का साथ दे रही है। जहां पहले केसीसी कार्ड बनवाने के लिए किसानों को महीनो तक बैंक के चक्कर लगाने पड़ते थे। इसके बावजूद भी कार्ड नहीं बन पाता था, लेकिन अब सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर केसीसी फार्म में कोई गड़बड़ी होती है तो बैंक को केसीसी फार्म रिजेक्ट करने से पहले किसानों को बतलाना होगा और उनके फार्म में सुधार करके उसे फिर से प्रस्तुत करने के निर्देश दिए जाएंगे, लेकिन प्रदेश के नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के अंतर्गत ग्रामीण बैंक डोंगरीपाली में सरकार के इस नियमों का पालन नहीं हो रहा और किसानों को बेवजह घुमाने के साथ-साथ दस्तावेजों में कमी बताकर हजारों रुपए खर्च करवाने के बाद भी लोन नसीब नहीं हो रहा। 

 

 

 

केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश : देश भर में बैंकों द्वारा लगातार केसीसी को लोन के लिए किसानों को परेशान करने की शिकायत पर मोदी सरकार द्वारा सभी बैंकों को सख्त निर्देश जारी किया गया है कि 15 दिनों के भीतर किसानों का केसीसी कार्ड जारी कर दिया जाए। साथ ही अन्नदाताओं के आवेदन को रिजेक्ट करने की बजाय उन्हें दस्तावेजों में जो त्रुटियां या खामियां है, उसे सुधार करवाया जाए और लोन स्वीकृत किया जाए। दरअसल, किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए किसानों को सभी दस्तावेज लेकर बेंक में जाना होता है. वहां पर बहुत से किसानों का केसीसी फार्म किसी दस्तावेज की कमी के कारण रिजेक्ट कर दिया जाता था और किसानों को इसकी सूचना भी नहीं दी जाती थी लेकिन अब सरकार केसीसी को लेकर सरकार बैंक को सख्त निर्देश देते हुए कहा है की अब बैंक अधिकारियों को केसीसी फार्म रिजेक्ट करने पर किसानों को बतलाना होगा की फार्म में क्या कमी है और यह किस कारण रिजेक्ट किया गया है और उस किसान का केसीसी कार्ड क्यों नहीं बन सकता है। माना जा रहा था कि सरकार के इस निर्देश से अब किसानों को बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, लेकिन ग्रामीण बैंक डोंगरीपाली के शाखा प्रबंधक भूपेंद्र सिंह राजपूत की मनमानी की वजह से यहां किसानों की ये परेशानी दूर नहीं हुई। 

 

 

एक दो नहीं, तीन से चार बार रिजेक्ट : किसानों को जबरन परेशान करने के लिए ग्रामीण बैंक के मैनेजर भूपेंद्र सिंह राजपूत द्वारा केसीसी आवेदन को एक दो नहीं, तीन से चार बार रिजेक्ट कर रहे। किसानों को केसीसी के लिए ऋण पुस्तिका, फोटो, आधारकार्ड के साथ सबसे जरूरी दस्तावेज राजस्व विभाग से बी 1 और राजस्व से संबंधित काम करने वाले अधिवक्ता से नो ड्यूज पेपर की जरूरत होती है। शाखा प्रबंधक बी 1 और नो ड्यूज पेपर में ही कमियां बताकर किसानों को परेशान कर रहे। डोंगरीपाली क्षेत्र के किसानों को नो ड्यूज पेपर बनवाने के लिए जिला मुख्यालय सारंगढ़ लगभग 50 किमी का सफर तय करना पड़ता है। यहां आने-जाने का खर्च अलग और नो ड्यूज पेपर के लिए फीस पर एक बार में हजारों रुपए खर्च हो रहे। 

 

 

किसानों को स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं दे रहे : सरकार के निर्देश है कि किसानों को केसीसी आवेदन में कहां त्रुटियां है, उन्हें बताया जाए। लेकिन डोंगरीपाली ग्रामीण बैंक के मैनेजर द्वारा किसानों को स्पष्ट रूप से बताया ही नहीं जाता कि आवेदन में क्या गलतियां है। किसान दोबारा सारंगढ़ तक पहुंचते हैं फिर नो ड्यूज बनवाते हैं। दोबारा बैंक प्रबंधक द्वारा खामियां बताकर रिजेक्ट कर दिया जाता है। अगर किसानों को पहली त्रुटियां को स्पष्ट रूप से बताया जाए तो दोबारा गलती नहीं होेगी, पर यहां तो जबरन परेशान करने के लिए हजारों रुपए खर्च करवा कर तीन से चार बार पेपर बनवा रहे। 

 

 

बैंक मैनेजर की मनमानी से ये हो चुके परेशान : डोंगरीपाली ग्रामीण बैंक मैनेजर की मनमानी से पूरे क्षेत्र के किसान परेशान हैं। पिछले दो महीने से कुछ किसान लोन के लिए बैंक का चक्कर काट रहे, इनमें परसकोल के हेरम भोई व केशवो भोई भी हैं। हेरम भोई द्वारा दो महीने पहले आवेदन किया है, लेकिन इनका लोन न तो पास हुआ है न ही आवेदन रिजेक्ट। मतलब बैंक मैनेजर किसान के आवेदन पर कुंडली मार कर बैठ गए हैं। इसी तरह गौरडीह के किसान विद्याधर पटेल को 2 बार नो ड्यूज पेपर बनवाया। इसके लिए उन्हें 10 हजार रुपए खर्च करने पड़े, तब जाकर लोन नसीब हुआ। इसी तरह की परेशानियों का सामना गौरडीह के नेत्रराम को भी करना पड़ा।