Friday, November 22, 2024
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केंद्र सरकार की घोषित समर्थन मूल्य नहीं करती लागत में वृद्धि की भी भरपाई : किसान सभा

रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा खरीफ फसलों के लिए कल घोषित समर्थन मूल्य खेती-किसानी के लागत मूल्य में वृद्धि की भी भरपाई नहीं करती, इसके लाभकारी मूल्य होने की बात तो दूर है। इससे कृषि संकट और किसानों की बदहाली और बढ़ेगी। एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर छग किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते व महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष खरीफ की फसलों के समर्थन मूल्य में मात्र 1.08% से 6.59% की वृद्धि की गई है। औसत वृद्धि 3.6% ही है, जबकि खुदरा महंगाई दर 5% से ऊपर चल रही है। छत्तीसगढ़ में धान व मक्का प्रमुख फसलें हैं। इन फसलों के समर्थन मूल्य में भी क्रमशः केवल 3.85% और 1.08% की ही वृद्धि की गई है, जो निराशाजनक है। समर्थन मूल्य में यह वृद्धि डीजल की कीमतों में हुई वृद्धि के कारण खेती-किसानी की लागत में हुई वृद्धि के अनुपात में भी नहीं है। डीजल के मूल्य में हुई वृद्धि के कारण खेती की लागत में 700- 1000 रुपये प्रति एकड़ की वृद्धि हुई है। किसान सभा नेताओं ने कहा है कि केंद्र द्वारा समर्थन मूल्य में यह वृद्धि ए-2+एफएल फार्मूले पर आधारित है, जबकि देश का किसान आंदोलन स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में देने की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य की घोषणा करना एक बात है और हर किसान को इसका पाना दूसरी बात है। देश के 94% किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता। इसीलिए देश का किसान समुदाय हर किसान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने की गारंटी करने वाला कानून बनाने की मांग कर रहा है। इस कानून के बिना समर्थन मूल्य में की गई कोई भी वृद्धि व्यर्थ है। किसान सभा नेताओं ने कहा कि सरकार के साथ 11 दौर की बातचीत में यह विस्तार से बता दिया गया है कि तीनों कृषि कानूनों में काला क्या है और क्यों इन कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में कोई भी सुधार इसके कॉर्पोरेटपरस्त चरित्र को नहीं बदल सकता और इसलिए इन कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने का कानून बनाने तक देशव्यापी किसान आंदोलन जारी रहेगा।