रायपुर. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित धान की उन्नत किस्म छत्तीसगढ़ देवभोग की खुशबू उत्तरप्रदेश के अयोध्या तथा आस-पास के क्षेत्रों में भी महकेगी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल की उपस्थिति में आज यहां कृषि विश्वविद्यालय एवं पुरारि सीड्स कम्पनी अयोध्या के बीच पूर्व में हुए समझौते के तहत कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पुरारि सीड्स को देवभोग धान के 120 क्विंटल बीज उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। यह बीज अयोध्या और आस-पास के 1200 एकड़ खेतों में लगाए जाएंगे। इस अवसर पर संचालक अनुसंधान एवं प्रक्षेत्र डॉ. पी.एल. चन्द्राकर, सह संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक त्रिपाठी एवं प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ. एच.एल. सोनबोइर भी उपस्थित थे। संचालक अनुसंधान डॉ. पी.एल. चन्द्राकर ने पुरारि सीड्स कम्पनी के संचालकों को छत्तीसगढ़ देवभाग धान उत्पादन की टेक्नोलॉजी के साथ ही हर संभव सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। पुरारि सीड्स कम्पनी के संचालक रामगोपाल तिवारी ने इस अवसर पर बताया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित फसलों की नवीन प्रजातियों से प्रभावित होकर उन्होंने छत्तीसगढ़ देवभोग किस्म को अयोध्या तथा आस-पास के 1200 एकड़ क्षेत्र में लगाने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय से क्रय किये गये बीज किसानों को फसल उत्पादन हेतु वितरित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि देवभोग चावल का उपयोग श्री राम लला के भोग हेतु करने के संबंध में उनकी श्री राम जन्म भूमि न्यास के अधिकारियों से चर्चा भी हुई है। उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा धान की स्वर्णा एवं जीराशंकर प्रजातियों के संकरण से विपुल उत्पादन देने वाली उन्नत किस्म छत्तीसगढ़ देवभोग विकसित की गई है। यह मध्यम अवधि (135 से 140 दिन) की प्रजाति ब्राऊन स्पॉट, शीथरॉट, टूंगरो आदि बीमारियों तथा तनाछेदक कीट के प्रति सहनशील है। इसके दाने मध्यम पतले आकार के तथा दाने की रिकवरी 67 प्रतिशत है। इसके दानों में हल्की सुगंध के साथ ही अच्छी मात्रा में ऐमाईलोज़ (24.5 प्रतिशत) है जिसके कारण पकने के बाद चावल काफी मुलायम होता है। इस किस्म की औसत उपज 40 से 45 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। केन्द्रीय बीज विमाचन उप समिति नई दिल्ली द्वारा छत्तीसगढ़ देवभागे किस्म को छत्तीसगढ़ के साथ-साथ उत्तरप्रदेश राज्य के लिए भी अनुशंसित किया गया है।