गरियाबंद। भले ही सरकार स्कूलों के शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लाख दावे कर रही है, लेकिन हकीकत तो यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के बैठने के लिए कमरे तक नहीं है। ऐसा ही मामला गरियाबंद जिले से सामने आया है, जहां स्कूल में कक्षा एक से 12 तक के बच्चों के बैठने के लिए महज चार ही कमरें है। इन्हीं चार कमरों में ही स्कूल स्टॉफ और प्रधानाचार्य भी बैठने के लिए व्यवस्था करते हंै। खास बात तो है कि इन चार कमरों में कुछ कक्षाएं लगाई जाती है, बाकी बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर अपना भविष्य गढ़ रहे। जानकारी के मुताबिक स्कूल की परेशानी को कई बार विभाग को अवगत कराया है। बावजूद इसके ध्यान नहीं दिया जा रहा। छुरा ब्लॉक के ग्राम सिवनी में प्राइमरी से हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित हो रही। कक्षा 1 से बारहवीं तक के बच्चों के लिए महज 4 कमरों में अध्यापन कार्य हो रहा। स्कूल में शिक्षकों के बैठने तक के लिए व्यवस्था नहीं है। आलम यह है कि बच्चों को स्कूल के बाहर पेड़ के नीचे कक्षाएं संचालित हो रही। वहीं स्कूल के कमरों में कपड़ा डालकर अलग-अलग कक्षा के बच्चों को बिठाया जाता है। इस तरह के अव्यवस्था के बीच स्कूली बच्चे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।
2007 में बना स्कूल भवन : 2007 में हाई स्कूल सिवनी का शुभारंभ किया गया एवं 2013 में हाईस्कूल का उन्नयन हायर सेकेंडरी स्कूल में किया गया, किंतु इनके लिए भवन अब तक नहीं बना है। सुदृढ़ीकरण के नाम पर 4 कमरों का एक भवन है। जहां पर हाई व हायर सेकेंड्री की कक्षाएं संचालित हो रही है। साथ ही साथ प्राचार्य कक्ष, शिक्षकों का कक्ष, प्रयोगशाला, पुस्तकालय सहित अन्य गतिविधियों का संचालन इन्हीं सीमित जगह पर किया जा रहा है। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि स्कूल का संचालन किन परिस्थितियों में किया जा रहा है।
इस स्थिति में पेड़ के नीचे पाठशाला : कक्षा 11वीं एवं 12वीं में कला, जीव विज्ञान, कॉमर्स की भी कक्षाएं संचालित है। संयुक्त रूप से हिंदी व अंग्रेजी विषय पढ़ते हैं तब इनका संचालन एक कमरे में हो जाता है किंतु जब विषय अनुसार अलग-अलग पढ़ाना है तब जगह नहीं होने की वजह से स्कूल के सामने पेड़ के नीचे कक्षाएं लगती है। इससे बरसात के दिनों में काफी दिक्कतें होती है। जबकि गर्मी व ठंड में पेड़ के नीचे चल जाता है। बरसात के दिनों में कमरों में पर्दा लगा कर दोनों कक्षाओं का संचालन एक साथ किया जाता है।