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प्रदेश कांग्रेस सचिव अनिल अग्रवाल का पूर्व कलेक्टर व भाजपा नेता ओपी से सवाल: चुनाव आचार संहिता व लॉकडाउन में रिजल्ट कैसे आते?

रायगढ़। योग्यताओं के आधार पर छत्तीसगढ़ प्रदेश में भी व्यापम का गठन किया गया जिसके अनुरूप शिक्षित बेरोजगारों के विषय तथा शैक्षणिक योग्यतानुसार निर्धारित पदों के अनुसार परीक्षा में अंक के तहत उनके परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर मापदंड के अनुसार शासकीय नौकरी में आने के प्रयोजन निर्धारित किए जाते हैं पर मानवीयता और न्यायालय के आदेशों को दरकिनार करके भाजपा के तथाकथित नेता इस पर आविश्वसनीयता फैलाने के बयान जारी करके हंसी के पात्र बनकर नासमझी की सीढ़ी चढ़ रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस के सचिव अनिल अग्रवाल ने भाजपा के तथाकथित युथ आयकॉन ओपी चौधरी के व्यापम द्वारा आयोजित सेट परीक्षा 2019 पर दिए गए घटिया बयान पर छत्तीसगढ़ के छात्र-छात्राओं और शिक्षित जनों के मध्य हकीकत प्रस्तुत की और बताया कि तत्कालीन भाजपा सरकार के मुखिया डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में व्यापम द्वारा आयोजित परीक्षा 17 सितंबर 2017 में आयोजित हुई जिस पर भाजपा सरकार ने सेट परीक्षा का परिणाम 27 मार्च 2018 में निकाला अर्थात 7 माह पश्चात व्यापम ने परिणाम घोषित किया।
प्रदेश कांग्रेस के सचिव अनिल अग्रवाल ने बताया कि कांग्रेस की सरकार आने के पश्चात व्यापम द्वारा आयोजित सेट परीक्षा 2019 के प्रवेश फार्म भरने में परीक्षार्थियों के रूप में आरक्षण के तहत दिव्यांग जनों के द्वारा आरक्षण के विषय पर माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष रिट लगाई और जिस पर वर्तमान कांग्रेस की सरकार के व्यापम के द्वारा निर्धारित आरक्षण पर दिव्यांग विशिष्टजनों के पक्ष को माना और उनके आरक्षण के प्रतिशत बढ़ाने के लिए केवल दिव्यांगजनों को फिर से फार्म जमा करने के लिए समय प्रदान किया अपितु समय के अनुरूप इस सेट-परीक्षा को करवाने के लिए हर प्रकार की बाधा को दूर करने का प्रयास किया गया और सफलतापूर्वक सेट-परीक्षा का आयोजन 8 सितंबर 2019 को किया गया।
चुनाव के लिए लगा आचार संहिता: इसके बाद छत्तीसगढ़ प्रदेश में नगर पंचायत नगर पालिका, नगर निगम के नगरीय चुनाव तथा इसके तुरंत बाद सरपंच जनपद सदस्य जिला पंचायत सदस्य के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए जिसके तहत राज्य निर्वाचन आयोग छग ने लगभग 4 माह की आचार संहिता लगाई जोकि भाजपा के तथाकथित आईकॉन को भी मालूम है और जिसके कारण ही आचार संहिता फरवरी के अंत और मार्च के शुरुआत तक रही फिर भारत सहित छत्तीसगढ़ में कोविड 19 का पदार्पण हो चुका था और प्रदेश की जनता के मध्य स्पष्ट है कि यह विदेशी बीमारी के जिम्मेदार भाजपा की केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी ही है।
प्रधानमंत्री से सवाल पूछे तथाकथित यूथआइकॉन: छग की जनता का प्रश्न स्वयंभू यूथआइकान नरेंद्र मोदी से पूछे कि 23 मार्च से लगे लॉकडाउन की अवधि लगभग मई तक रही जिसमें की केंद्र सरकार के द्वारा दर्जनों परीक्षाओं को परीक्षाओं के साथ उनके परिणामों को निरंतर लंबित किया गया तो ऐसी स्थिति में व्यापम-छत्तीसगढ़ के द्वारा परिणाम कैसे घोषित किए जाते? जबकि व्यापम-छत्तीसगढ़ में भी काम करने वाले अधिकारी व कर्मचारी इंसान ही है जो कि भाजपा की केंद्र सरकार के अकर्मण्यता के कारण फैली कोरोना से डरे सहमे थे और मोदी द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के नियमों का पालन भी कर रहे थे।

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