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जनहित के मुद्दों पर माकपा के कड़े तेवर, मेयर को ज्ञापन सौंपकर कहा-बजट में आउट सोर्सिंग और निजीकरण के प्रस्तावों को समर्थन नहीं

कोरबा। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने जनहित के मुद्दों पर अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। जुलाई में कांग्रेस और माकपा नेताओं के बीच बनी सहमति की याद दिलाते हुए निगम के आगामी बजट में आम जनता को राहत देने वाले कदमों को उठाने की मांग करते हुए माकपा ने स्पष्ट कहा है कि निगम क्षेत्र में आउट सोर्सिंग और निजीकरण के प्रस्तावों का पार्टी समर्थन नहीं करेगी। पार्टी ने बांकी मोंगरा जोन के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भी बजट आबंटित करने की मांग की है। इस संबंध में एक ज्ञापन कल माकपा जिला सचिव प्रशांत झा के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने कोरबा महापौर राजकिशोर प्रसाद को सौंपा है। ज्ञापन में कोरोना संकट से प्रभावित गरीब जनता और लघु व्यापारियों का संपत्ति कर सहित अन्य बकाया कर माफ करने के साथ ही कर्मचारियों के नियमित पदों को भरने और सफाई कर्मियों को दैनिक वेतनभोगियों के रूप में नियमित करने की भी मांग की गई है। महापौर को सौंपे ज्ञापन और जुलाई में कांग्रेस-माकपा के बीच हुई बैठक के बाद महापौर द्वारा जारी वक्तव्य को पुन: मीडिया के लिए जारी करते हुए माकपा नेता प्रशांत झा ने कहा कि कांग्रेस ने माकपा का समर्थन लेते हुए बांकी मोंगरा जोन के पिछड़ेपन को दूर करने की बात कही थी। इस बारे में मेन मार्केट रोड के जीर्णोद्धार और सर्वसुविधायुक्त स्टेडियम और गार्डन के निर्माण की दिशा में निगम को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ पहलकदमी करनी चाहिए। इसी प्रकार राजस्व भूमि व वन भूमि पर वर्षों से काबिज परिवारों को पट्टे और भू-अधिकार पत्र देने की तत्काल पहल निगम प्रशासन को करना चाहिए। इसके साथ ही महिलाओं और बेरोजगारों को रोजगार देने की योजनाओं के लिए बजट आबंटित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महापौर ने अपने वक्तव्य में जिन 8 कार्यों को प्राथमिकता देने की बात सार्वजनिक रूप से कही है, इस बजट में उसकी झलक भी दिखनी चाहिए। माकपा नेता ने बताया कि पार्टी किसी भी हालत में संपत्ति कर वसूलने के लिए आउट सोर्सिंग और पेयजल, सफाई आदि की व्यवस्था के निजीकरण करने के प्रस्तावों का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि सामान्य अनुभव की बात है कि ये एजेंसियां लोगों से जबरदस्ती, डरा-धमकाकर, मारपीट के जरिये कर वसूली करती है और आम जनता के नागरिक अधिकारों का हनन करती है। रायपुर सहित अन्य शहरों का अनुभव है कि सर्वे और वसूली में इन एजेंसियों ने भारी गड़बडिय़ां की हैं और धनी व प्रभावशाली लोगों के पक्ष में पक्षपात किया है। अत: वसूली और सर्वे का काम केवल निगम के लोगों और निगम द्वारा नियुक्त दैनिक वेतनभोगियों के जरिये ही होना चाहिए। इसी प्रकार, ठेके के माध्यम से पेयजल व्यवस्था का निजीकरण करने का माकपा ने विरोध किया है और वर्तमान व्यवस्था को ही बनाये रखने की मांग की है। माकपा नेता ने बताया कि ज्ञापन में खनिज न्यास निधि का उपयोग कोयला खदानों से प्रभावित क्षेत्र में ही करने और इस निधि का 80त्न खर्च प्रभावित क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए करने की भी मांग की गई है। ज्ञापन में मध्यम व छोटे आकार के सामुदायिक व सांस्कृतिक भवनों के उपयोग के लिए शुल्क न्यूनतम रखने की मांग की गई है। माकपा नेता झा ने कहा है कि यदि कोरबा की निगम सरकार नागरिक सुविधाओं के आउट सोर्सिंग और निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ती है, तो इसके खिलाफ आम जनता को लामबंद कर सड़क की लड़ाई लड़ी जाएगी।

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