Mahtari Vandan Yojana Scheme Recovery : महतारी वंदन योजना हितग्राहियों को झटका, पहले सरकार ने दिए पैसे, अब कर रही वसूली

By admin
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Mahtari Vandan Yojana Scheme Recovery

Chhattisgarh : 2018 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की सभी महिलाओं (Mahtari Vandan Yojana Scheme Recovery) को हर महीने 1-1 हजार रुपये देने का चुनावी वायदा किया था। प्रदेश में सत्ता काबिज होने के बाद भाजपा सरकार ने अपना वायदा निभाया और महिलाओं के खाते में एक-एक हजार रुपये भेजा जा रहा है। मार्च 2024 से हर महीने महिलाओं को पैसे दिए जा रहे हैं और अब तक महतारी वंदन योजना की 18 किस्त जारी जा चुकी है, इसमें लगभग 70 लाख महिलाओं को 9 हजार 788 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। लेकिन इस योजना से जुड़े हजारों महिलाओं के लिए एक बुरी खबर है। अब सरकार इनमें से कई महिलाओं से पैसे वसूल रहा है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए महतारी वंदन योजना शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य की विवाहित या विधवा महिलाएं, जिनकी आयु 21 वर्ष से अधिक है, उन्हें हर महीने 1000 की आर्थिक सहायता दी जाती है। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए महिलाओं को आधार कार्ड, राशन कार्ड और बैंक पासबुक जैसे दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इन दस्तावेजों का सत्यापन होने के बाद आंगनबाड़ी सुपरवाइजर द्वारा आवेदन की जांच कर स्वीकृति दी जाती है, जिसके बाद लाभार्थी को राशि प्राप्त होने लगती है। यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार की एक सराहनीय पहल है। हालांकि कुछ अपात्र महिलाएं भी इस योजना का लाभ उठा रही है।

छत्तीसगढ़ में अब महतारी वंदन योजना से जुड़ी गड़बड़ियां लगातार सामने आ रही हैं। हालिया जांच में खुलासा हुआ है कि रायपुर जिले में ही 128 शासकीय कर्मचारियों और उनके परिजनों ने लगभग 18 महीनों तक इस योजना का अनुचित लाभ उठाया। महिला एवं बाल विकास विभाग ने अब इन अपात्र लाभार्थियों से करीब 21 लाख रुपये की वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार, इन मामलों में 42 महिलाएं स्वयं सरकारी विभागों में कार्यरत थीं, वहीं 78 शासकीय कर्मचारियों की पत्नियों, छह बेटियों और दो पेंशन प्राप्त कर रहीं महिलाओं ने भी गलत जानकारी देकर योजना का लाभ ले लिया।

आवेदन करते समय छिपाई जानकारी Mahtari Vandan Yojana Scheme Recovery

इन सभी ने आवेदन करते समय अपनी वास्तविक स्थिति छिपाकर अपात्र होने के बावजूद योजना में नाम दर्ज कराया। यह पूरा मामला योजना के शुरुआती दौर में पात्रता की जांच में हुई गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। जांच में यह भी सामने आया कि एक साल से ज्यादा समय तक इन अपात्र खातों में आर्थिक सहायता की राशि ट्रांसफर होती रही। विभाग ने फिलहाल 21 लाख की रिकवरी प्रस्तावित की है, जिसमें से अब तक चार लाख रुपये की राशि वसूल की जा चुकी है।

 

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