1163 लाख की योजना ठप, पुल भी अटका, जांच भी… ठेकेदार गायब, जवाबदेही नदारद!

किंकारी नाला पर करोड़ों की लागत से बन रहा पुल चार महीने से अधूरा पड़ा है। घटिया सामग्री, तकनीकी अनदेखी और जिम्मेदार अफसरों की चुप्पी ने इस परियोजना को भ्रष्टाचार का नमूना बना दिया है। जांच टीमें सिर्फ औपचारिकता निभा रहीं, जबकि ठेकेदार और जवाबदेही दोनों नदारद हैं।

4 Min Read
Kinkari Nala Bridge

राजधानी टाइम्स CG। 8 जुलाई 2025 : रायगढ़ जिले के बरमकेला-बड़े नवापारा मार्ग पर स्थित (Kinkari Nala Bridge) किंकारी नाला पर उच्चस्तरीय पुल और उसके पहुंच मार्ग का निर्माण बीते चार महीनों से ठप पड़ा है।

लोक निर्माण विभाग के सेतु शाखा द्वारा स्वीकृत इस बहुप्रतीक्षित परियोजना की लागत 963 लाख रुपये है, जिसे 1163.85 लाख की तकनीकी स्वीकृति प्राप्त है। मगर जिस तरह निर्माण की शुरुआत धीमी गति से हुई, उसी तरह अब यह पूरी तरह से बंद हो चुका है।

निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर पहले भी शिकायतें सामने आ चुकी थीं। घटिया मिट्टी और खराब मटेरियल के इस्तेमाल की पुष्टि के बाद जांच टीम भेजी गई, लेकिन वह केवल खानापूर्ति कर सैंपल लेकर लौट गई। आज तक न किसी पर कार्रवाई हुई, न काम दोबारा शुरू हुआ।

किंकारी नाला पर बना यह पुल (Kinkari Nala Bridge) बरमकेला और बड़े नवापारा के ग्रामीणों के लिए मुख्य संपर्क मार्ग है। पहुंच मार्ग में खेतों की कन्हार मिट्टी भर दी गई, जिससे बारिश से पहले ही दरारें उभर आईं। स्लैब और पिलर में भी दरारें हैं, जिनका कारण बिना जांच के गिट्टी, छड़, सीमेंट और रेत का प्रयोग बताया जा रहा है।

सारंगढ़ विधायक उत्तरी जांगड़े ने भी मामले की जांच की मांग की थी, लेकिन अधिकारियों ने सिर्फ रिपोर्ट तैयार की और कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी। वहीं निर्माण कार्य का जिम्मा लिए ठेकेदार विशम्बर दयाल अग्रवाल पिछले चार महीनों से गायब हैं।

उप अभियंता एसएस तांडे और राखी पटेल को देखरेख की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि एसडीओ एएल बरेठ, नैमेधन राम भगत और जेपी चौधरी जांच अधिकारी हैं। भुगतान की जिम्मेदारी कार्यपालन अभियंता रमेश कुमार वर्मा को दी गई थी। लेकिन इन सबकी निगरानी के बावजूद निर्माण कार्य में घोर लापरवाही सामने आई है।

इस मामले में जब जांच अधिकारी नैमेधन राम भगत से बात की गई तो उन्होंने ट्रांसफर का हवाला देकर जवाब देने से पल्ला झाड़ लिया। जबकि विधानसभा प्रश्नकाल में उनके कार्यकाल में ही एक संदिग्ध भुगतान का उल्लेख हो चुका है।

ग्रामीणों का कहना है कि जिस तरह केलो नदी पर बना पुल 15 साल में जर्जर हो गया, उसी तरह यह पुल भी 14-15 साल में टूटने की आशंका लेकर बन रहा है। जंग खा चुके छड़, उखड़ते लेयर और दरारों ने निर्माण की सच्चाई को उजागर कर दिया है।

निर्माण में नहीं बरती गई सतर्कता (Kinkari Nala Bridge)

किंकारी नाला पर बन रहे उच्चस्तरीय पुल व पहुंच मार्ग के निर्माण के लिए नियुक्त उप अभियंता, एसडीओ और भुगतान अधिकारियों की टीम के बावजूद गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग हुआ। खेतों की मिट्टी डालकर पहुंच मार्ग तैयार किया गया और गिट्टी, छड़, सीमेंट जैसे मूल निर्माण सामग्री की जांच तक नहीं कराई गई। जांच अधिकारी नैमेधन राम भगत से सवाल किया गया तो उन्होंने ट्रांसफर का हवाला देकर जवाब टाल दिया। यह वही अधिकारी हैं जिनके कार्यकाल में भुगतान संबंधित मामला विधानसभा में उठ चुका है।

Kinkari Nala Bridge ग्रामीणों को पुल की उम्र पर संदेह

विक्रमपाली, ऐरीपाली और बड़े नवापारा के ग्रामीणों ने निर्माण की धीमी गति और घटिया सामग्री को देखकर आशंका जताई है कि यह पुल 14-15 वर्षों में ही बेकार हो जाएगा। ग्रामीणों ने रायगढ़ के केलो नदी पुल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी ऐसा ही घटिया निर्माण हुआ था और वह अब चलने लायक नहीं रहा। किंकारी नाला पर निर्माणाधीन पुल में दरारें, जंग लगे छड़ और उखड़ते मटेरियल की परतें इस डर को और पुख्ता कर रही हैं।

 

Share This Article