Saturday, November 23, 2024
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Baramkela News : ग्रामीणों के साथ नाइंसाफी! एमडीआर से बना दिया ग्रामीण सड़क, बजट में शामिल फिर भी स्वीकृति राशि नहीं मिल रही

बरमकेला। पिछले सप्ताह राज्य सरकार ने अंतिम बजट प्रस्तुत किया। इस बजट में प्रमुख सड़कों के लिए करोड़ों रुपए की स्वीकृति मिल गई। लेकिन इस बार भी कटंगपाली -बरमकेला मुख्य मार्ग के नवीनीकरण हेतु स्वीकृति राशि जारी नहीं हो पाया है। हालांकि देर सबेर इस सड़क के लिए भी राशि मंजूरी मिलने की उम्मीद जता रहे हैं। किंतु कब तक इस क्षेत्र के ग्रामीणों को बड़े बड़े गढ्डों व धूल भरे सड़क से होकर ब्लाक मुख्यालय को सफर करने के लिए परीक्षा देनी पड़ेगी। यह यक्षप्रश्न बनता जा रहा है। कटंगपाली – बरमकेला कभी एमडीआर (जिला मुख्य मार्ग) सड़क में शामिल था। वर्ष 2007 में इस सड़क मार्ग का डामरीकरण किया गया था। उसके बाद एक बार भी मरम्मत कार्य के लिए राशि का आबंटन नहीं मिला। इसके बाद भी पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा केवल नाममात्र के पेंचवर्क होता रहा।

 

 

भाजपा शासनकाल से उपेक्षा का दंश झेल रहा : इस दौरान भाजपा शासन का लंबा समय बीत गया लेकिन उसके कार्यकर्ताओं ने नवीनीकरण तो दूर मरम्मत कार्य के लिए कोई प्रयास नहीं किया। नतीजा यह रहा कि 09 किलोमीटर की सड़क पर बड़े बड़े गढ्डे बन गए और डामर की परते उधड़ गई है। ग्रामीणों का कहना है कि पंद्रह मिनट का सफर एक घंटे में तय करना पड़ रहा है। ग्राम गोबरसिंघा से लेकर लोधिया तक जानलेवा गढ्डों में कई दुर्घटनाएं हो चुके हैं। ऐसे में पीडब्ल्यूडी विभाग के मैदानी अमले गढ्डों में मिट्टी, बोल्डर डालकर थूक पालिस की कोशिश करते दिख जाते हैं। लेकिन कुछ दिन बाद वाहनों के चलने से पुनः गढ्डे बड़े आकार में तब्दील हो जा रहे हैं।

 

 

एक साल से स्वीकृति का इंतजार : ऐसा नहीं है कि विभाग ने प्राक्कलन बनाकर बजट में शामिल होने के लिए भेज दिया है लेकिन एक साल से स्वीकृति के लिए लटका हुआ है। पिछले साल की बजट में शामिल भी हो गया है। इस सड़क के लिए 17 करोड़ रुपए की प्राक्कलन बनाया गया है जिसकी लंबाई 9.3 किलोमीटर है। अब इसे कांग्रेसी कार्यकर्ता स्वीकृति के लिए भेजें जाने का श्रेय लेने लगें हैं लेकिन दोनों बार की बजट के बाद स्वीकृति करा पाने में विफल हैं। अब तक स्वीकृति आदेश नहीं मिला है।

 

 

एमडीआर से विलोपित कर बना दिया ग्रामीण सड़क :  वर्षों पहले कटंगपाली – बरमकेला सड़क को मुख्य मार्ग यानि एमडीआर में शामिल किया गया था। किंतु वर्ष 2012 – 13 में परसरामपुर – सूरजगढ़ की लंबी पुल बनने एवं चंद्रपुर – सरिया सड़क को एमडीआर में शामिल होते ही इस मुख्य मार्ग को विलोपित कर ग्रामीण सड़क बना दिया गया है। इसी के चलते बजट में शामिल होने के बाद भी स्वीकृति राशि का आदेश लटका हुआ है। अब इसे राजनैतिक फायदे नुकसान की नजरिए से देखा जा रहा है।

 

 

 बदहाल सड़क पर जाने को मजबूर ग्रामीण : ब्लाक मुख्यालय बरमकेला की ओर जाने के लिए ग्राम नौघटा , छेलफोरा , बिलाईगढ अ , कटंगपाली अ , मौहापाली , गोबरसिंघा , तोरेसिंघा , मारोदरहा, खोखेपुर, कारीगांठी , केनाभांठा , मुंगलीपाली , गिरहुलपाली , बड़े – छोटे आमाकोनी , जामजोरी, लोधिया , डभरा , भंवरपुर, कंचनपुर ब के ग्रामीणों के लिए एकमात्र इसी बदहाल सड़क से होकर जाने को विवशता बनी हुई है। इन गांवों के ग्रामीणों के लिए दूसरा कोई सड़क मार्ग नहीं है।ग्राम लोधिया के भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी ने चक्काजाम करने की बात कही थी। लेकिन उनकी घोषणा महज कोरी साबित हो रही है।

 

 

 

क्या कहते हैं सब इंजीनियर :  पिछले साल ही इस सड़क की नवीनीकरण हेतु बजट में शामिल हो चुका है। अब तक स्वीकृति आदेश नहीं मिल सका है। चूंकि यह सड़क ग्रामीण सड़क होते हुए भी यातायात के दबाव के हिसाब से सड़क की सात मीटर रखा गया है। स्वीकृति आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
अशोक दासे, सब इंजीनियर पीडब्ल्यूडी विभाग , बरमकेला.