न्यूज डेस्क। संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में शब्दों के इस्तेमाल को लेकर नई गाइडलाइंस जारी किए जाने पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा और शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने आपत्ति जताते हुए तंज कसा है. महुआ मोइत्रा और प्रियंका चतुर्वेदी ने आज इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. टीएमसी सासंद महुआ मोइत्रा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए अपने ट्वीट में लिखा, “बैठ जाएं. बैठ जाइये. प्रेम से बोलें. लोकसभा और राज्यसभा की नई असंसदीय शब्दों की सूची में संघी शब्द शामिल नहीं है. मूल रूप से सरकार ने विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए सभी शब्दों के इस्तेमाल को रोकने के लिए यह काम किया है. कैसे भाजपा भारत को नष्ट कर रही है और उन पर प्रतिबंध लगा रही है.”
Baith jaiye. Baith Jaiye. Prem se boliye.
New list of unparliamentary words for LS & RS does not include Sanghi.
Basically govt taken all words used by opposition to describe how BJP destroying India & banned them.
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) July 14, 2022
वहीं दूसरी तरफ शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एक पुराने मीम का जिक्र करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा. प्रियंका ने ट्वीट किया, “यह पुराना मीम याद आ गया. अगर करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या? सिर्फ वाह मोदी जी वाह! यह पॉप्युलर मीम अब सच्चाई होती नजर आ रही है.
“अगर करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या?
सिर्फ़, वाह मोदी जी वाह !”यह पॉप्युलर मीम अब सच्चाई होती नज़र आ रही है! pic.twitter.com/h5nqkVxe32
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) July 14, 2022
इन शब्दों के इस्तेमाल को माना जाएगा असंसदीय : आपको बता दें कि लोकसभा सचिवालय ने अंससदीय शब्द 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों की एक लिस्ट तैयार की है, जन्हें लोकसभा और राज्यसभा समेत राज्यों की विधानमंडलों में असंसदीय घोषित किया गया था. इस लिस्ट में शामिल शब्दों और वाक्यों को ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है. जिसके तहत दोनों सदनों में कार्यवाही में हिस्सा लेने वाले सांसद चर्चा के दौरान जुमलाजीवी, कोरोना स्प्रेडर, जयचंद, शकुनि, जयचंद, लॉलीपॉप, चांडाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिट्ठू जैसे शब्दों को दोनों सदनों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी नई बुकलेट के अनुसार, ऐसे शब्दों के इस्तेमाल को अमर्यादित आमचरण का माना जाएगा और ये सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे.