

रायपुर। छत्तीसगढ़ आरक्षण मामला एक बार फिर गरमाता नजर आ रहा है। राज्यपाल अनुसुइया उइके के दिल्ली से वापस लौटने के बाद सबकी नजरें आरक्षण पर जाकर टिकी हैं। एक तरफ जहां विपक्ष लगातार राज्यपाल अनुसुइया उइके से आरक्षण पर हस्ताक्षर करने की मांग कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सरकार से कुछ सवालों के जवाब मांगे है। इस बीच गुरूवार शाम कांग्रेस के 14 आदिवासी विधायक राजभवन पहुंचे। विधायक ने राज्यपाल से संशोधित आरक्षण विधेयक भी हस्ताक्षर करने की मांग रखी। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज की ओर से आरक्षण को लेकर एक बड़ा अल्टीमेटम दिया है। दरअसल, आरक्षण संशोधन विधेयक के मुद्दे में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने राज्यपाल अनुसुइया उइके को 3 दिन का अल्टीमेटम दिया है। आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने कहा है कि राज्यपाल 3 दिन में विधेयक पर हस्ताक्षर करें, नहीं तो राजभवन घेराव किया जाएगा। बता दें कि राज्यपाल अनुसूईया उइके तीन दिन के दिल्ली दौरे से बुधवार रात वापस लौंटी। रायपुर हवाई अड्डे पर छत्तीसगढ़ के आरक्षण संशोधन विधेयकों के भविष्य पर उनसे सवाल हुआ। जवाब में राज्यपाल ने कहा, दिल्ली में प्रदेश की सारी गतिविधियों पर चर्चा की गई। ये विषय भी मैंने बताया। राज्यपाल ने कहा, अपने विधि सलाहकार की सलाह पर उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार को 10 प्रश्न भेजा है। सरकार की ओर से उसका जवाब आने के बाद उस पर विचार करूंगी।
जल्द से जल्द हस्ताक्षर करना चाहिए : भेंट-मुलाकात के लिए कसडोल जाने से पहले रायपुर हेलीपैड पर पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से राज्यपाल के दिल्ली जाकर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात पर सवाल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा, उन्होंने जिनसे भी मुलाकात की हो उसकी मुझे जानकारी नहीं है। लेकिन अब ये हैं कि उन्हें जल्दी हस्ताक्षर करके देना चाहिए। क्योंकि छात्रों के भविष्य का सवाल है। बहुत सारी भर्तियां होनी हैं, उसमें वह लागू होना है। हाईकोर्ट का भी आदेश आ गया है। ऐसे में जब हम लोगों ने नया आरक्षण बिल लाकर विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित कर दिया है तो उसे तत्काल हस्ताक्षर कर देना चाहिए।
सीएम ने कहा, अपनी जिद पर अड़ी हैं गर्वनर : मुख्यमंत्री ने कहा, इतने दिन में मैं समझता हूं सब क्लियर हो चुका होगा। यह उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर है, लेकिन वे उसी पर अड़ी हुई हैं तो हम उसका जवाब भेज देंगे। भेजने में कितना देर लगता है, लेकिन वह उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। जो चीज विधानसभा से पारित हो चुका है, उसमें विभाग थोड़ी न जवाब देगा। लेकिन अगर वे अपनी हठधर्मिता पर अड़ी हुई है और नियम से बाहर जाकर काम करना चाहती है तो हमें कोई तकलीफ नहीं है। प्रदेश के हित में बच्चों के भविष्य को देखते हुए हम किसी प्रकार का अड़ंगा नहीं होने देंगे। वह चाहती है कि उनकी जिद पूरी हो तो हम भिजवा देंगे।