बीजापुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले से 18 किलोमीटर दूर कादुलनार गाँव मे किसान पेन्टीया आंगनपल्ली स्कूलपारा का रहने वाले हैं। उन्होंने हमारी टीम को बताया कि किस तरह टीवी और मोबाइल देखकर आधुनिक युग में पहुंचे। किसान आंगनपल्ली बताते हैं कि कई वर्षों से वह कृषक हैं एक अच्छे कुशल कृषक का दायित्व निभा रहे हैं। अपने परिवार को पाल पोषण भी रहे हैं । वे बताते हैं कि पिछले समय में उन्हें धान की निदाई करने के लिए बैलों का उपयोग करना पड़ता था उनके पास 14 एकड़ कृषक भूमि है। जिसमें वह धान लगाते हैं धान बेचने से पहले उन्हें धान की सफाई कर बोरों में भरना होता है। जिसके लिए उन्हें 4 से 5 दिन लग जाते थे। परंतु टीवी और मोबाइल की ऐप से उन्हें पता चला कि कैसे धान मिडाई मशीन से भी होती हैं। थ्रेशर मशीन के नाम से भी जाना जाता है जो नजदीक के गांव में ही एक किसान नारायण जुमार निवासी तोयनार जिनके पास उनके खुद का थ्रेसर मशीन है जिससे वह खुद का कार्य तो करते ही है । साथ में रोजगार के रूप में थ्रेसर मशीन का उपयोग भी वह अलग-अलग गांव में जाकर करवाते हैं।
क्या कहते हैं किसान
किसान नारायण जुमार मशीन मालिक ने कहा कि 1 घंटे 800 रु लेता हूं वही मुझे बहुत खुशी भी है कि समय के साथ जल्द हमारा काम हो जाता है इस मशीन से यह मेरे आए का भी स्रोत है । दिन भर में 10 से 12 किसानों का धान में मिडाई का कार्य करता हूं ।
किसान पेन्टीया अगनपल्ली मेरे पास 14 एकड़ जमीन है जिसमें मैं खेती करता हूं इस 14 एकड़ में मेरी धान की फसल होती है। सामूहिक हम भाई भाई हैं पहले पूरे परिवार को 3 से 4 दिन मिडाई करने के लिए खेत में रहना पड़ता था । अब अच्छा लगा की थ्रेसर मशीन से में 1 से 2 घंटे में अपना सारा काम पूरा करके धान बेचने भी चला जाऊंगा ।